बादशाह अकबर की यह आदत थी कि वह अपने दरबारियों से तरह-तरह के प्रश्न किया करते थे। एक दिन बादशाह ने दरबारियों से प्रश्न किया, “अगर सबकी दाढी में आग लग जाए, जिसमें मैं भी शामिल हूं तो पहले आप किसकी दाढी की आग बुझायेंगे?”

“हुजूर की दाढी की“ सभी सभासद एक साथ बोल पड़े।

मगर बीरबल ने कहा - “हुजूर, सबसे पहले मैं अपनी दाढी की आग बुझाऊंगा, फिर किसी और की दाढी की ओर देखूंगा।“

बीरबल के उत्तर से बादशाह बहुत खुश हुए और बोले- “मुझे खुश करने के उद्देश्य से आप सब लोग झूठ बोल रहे थे। सच बात तो यह है कि हर आदमी पहले अपने बारे में सोचता है।“

Comments
Please join our telegram group for more such stories and updates.telegram channel

Books related to अकबर बीरबल


मुगल-ए-आजम
कौटुंबिक प्रेमकथा भाग १
बौद्धसंघाचा परिचय
मोहम्मद आयशाचे शापित जहाज
बुद्ध, धर्म आणि संघ
गौतम बुद्ध
महाभारतातील विस्मृतीत गेलेल्या कथा
इन्फिनिटी
ओघळ काजळमायेचे
दुखवा मैं कासे कहूँ मोरी सजनी
आपणच विजयी होऊया
मृत्यूच्या घट्ट मिठीत
गावांतल्या गजाली
खेळ संपला
किनारा