बोलो राम राम राम राम राम राम, भज मन प्यारे सीताराम ॥टेक॥
संतनके जीवन ध्रुव-तारे, भक्तों के प्राणों से प्यारे।
विश्वंभर सब जग रखवारे, सब बिधि पूरण-काम, राम॥१॥
अजामेल दु:ख टारनहारे, गज-गणिका को तारनहारे।
द्रुपद- सुता भय बारनहारे, सुखमय मंगल-धाम , राम॥२॥
अनल अनिल जल रवि शशि तारे, पृथ्वी गगन गन्ध रस सारे।
तुझ सरिताके सभी फुवारे, तू सबका विश्राम, राम॥३॥
तुझ पर तन-मन-धन- जन वारे, तुम प्रेमामृत-मद मतवारे।
धन्य-धन्य हे जग उजियारे, जिनके मुख श्रीराम, राम राम॥४॥