पुनि पुनि सीय गोद करि लेहीं ।
देइ असीस सिखावनु देहीं ॥
होएहु संतत पियहि पिआरी ।
चिरु अहिबात असीस हमारी ॥
सासु ससुर गुर सेवा करेहू ।
पति रुख लखि आयसु अनुसरेहू ॥
बहुरि बहुरि भेटहिं महतारीं ।
कहहिं बिरंचि रचीं कत नारीं ॥
पुनि पुनि सीय गोद करि लेहीं ।
देइ असीस सिखावनु देहीं ॥
होएहु संतत पियहि पिआरी ।
चिरु अहिबात असीस हमारी ॥
सासु ससुर गुर सेवा करेहू ।
पति रुख लखि आयसु अनुसरेहू ॥
बहुरि बहुरि भेटहिं महतारीं ।
कहहिं बिरंचि रचीं कत नारीं ॥