गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये ।
जो गुरु चाहे सोयि सोयि करिये॥
गुरु चरनन रज मस्तक दीजे ।
निज मन बुद्धि शुद्ध कर लीजे।
आँखिन ज्ञान सुअंजन दीजे ।
परम सत्य का दरशन करिये॥
गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये॥
गुरु अँगुरी दृढ़ता से धरिये ।
साधक नाम सुनौका चढिये।
खेवटिया गुरुदेव सरन में ।
भव सागर हँस हँस के तरिये॥
गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये॥
गुरु की महिमा अपरम्पार ।
राम धाम में करत विहार।
ज्योति स्वरूप राम दरशन को ।
गुरु के चरन चीन्ह अनुसरिये॥
गुरु आज्ञा में निश दिन रहिये॥