बधैया बाजे
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ॥
राम लखन शत्रुघन भरत जी झूलें कंचन पालने में ।
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ॥
राजा दसरथ रतन लुटावै लाजे ना कोउ माँगने में ।
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ॥
प्रेम मुदित मन तीनों रानि सगुन मनावैं मन ही मन में ।
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ॥
राम जनम को कौतुक देखत बीती रजनी जागने में
बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे ॥