तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊं मैं ।
देख लिया जग सारा मैने तेरे जैसा मीत नहीं ।
तेरे जैसा प्रबल सहारा तेरे जैसी प्रीत नहीं ।
किन शब्दों में आपकी महिमा गाऊं मैं ॥
अपने पथ पर आप चलूं मैं मुझमे इतना ज्ञान नहीं ।
हूँ मति मंद नयन का अंधा भला बुरा पहचान नहीं ।
हाथ पकड़ कर ले चलो ठोकर खाऊं मैं ॥