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महानवमी: नवरात्रोत्थापन

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सृजनशक्ती तू रमणी शिवाची 

मूळप्रकृती जननी विश्वाची 

आदिशक्ती तू आदि अनादि

वरदायिनी तू भक्तजनांसी


क्षणी निर्मिसी ब्रह्मांडासी

लालन पालन बहु प्रेमेसी 

नित्यनूतनी ज्ञानदायिनी

सकल कला उन्मेषदायिनी


सुखदायीनी विघ्ननाशीनी

रौद्ररूपिणी संहारकारिणी

नाकळेचि तव कार्य कारिणी

लागे पायी मस्तक झुकवूनी


आई भवानी शिवस्वरुपिणी

अनन्यभावे प्रार्थितसे तुज

क्षमा शांति तू भक्तीदायिनी 

तूचि बालका वत्सल जननी 


शशांक पुरंदरे.

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