आ के सज्जादः नशीं[1] क़ैस[2] हुआ मेरे बाद
न रही दश्त[3] में ख़ाली कोई जा[4] मेरे बाद

चाक करना[5] है इसी ग़म से गिरेबान-ए-क़फ़न[6]
कौन खोलेगा तेरे बन्द-ए-कबा[7] मेरे बाद

वो हवाख़्वाहे-चमन[8] हूँ कि चमन में हर सुब्ह
पहले मैं जाता था और बाद-ए-सबा[9] मेरे बाद

तेज़ रखना सर-ए-हर ख़ार[10] को ऐ दश्त-ए-जुनूँ[11]!
शायद आ जाए कोई आबला-पा[12] मेरे बाद

मुँह पे रख दामन-ए-गुल रोएंगे मुर्ग़ान-ए-चमन[13]
हर रविश ख़ाक उड़ाएगी सबा मेरे बाद

बाद मरने के मेरी क़ब्र पे आया वो 'मीर'
याद आई मेरे ईसा को दवा मेरे बाद

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