परमधन राधे नाम अधार ।
जाहि स्याम मुरलीमें टेरत, सुमिरत बारंबार ॥जंत्र-मंत्र औ बेद तंत्रमें सबै तारकौ तार ।श्रीसुक प्रगट कियो नहिं यातैं जानि सारको सार ॥
कोटिन रुप धरे नँद-नंदन, तऊ न पायौ पार ।
ब्यासदास अब प्रगट बखानत, डारि भारमें भार ॥
 

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