जय संतोषी माता,

मैया जय संतोषी माता ।

 

अपने सेवक जन को,

सुख संपति दाता ॥

 

॥ ॐ जय संतोषी माता ॥

 

सुंदर चीर सुनहरी,

मां धारण कीन्हों ।

 

हीरा पन्ना दमके,

तन श्रृंगार लीन्हों ॥

 

॥ ॐ जय संतोषी माता ॥

 

गेरू लाल छटा छवि,

बदन कमल सोहे ।

 

मंदर हंसत करूणामयी,

त्रिभुवन मन मोहे ॥

 

॥ ॐ जय संतोषी माता ॥

 

स्वर्ण सिंहासन बैठी,

चंवर ढुरे प्यारे ।

 

धूप, दीप,नैवैद्य,मधुमेवा,

भोग धरें न्यारे ॥

 

॥ ॐ जय संतोषी माता ॥

 

गुड़ अरु चना परमप्रिय,

तामें संतोष कियो।

 

संतोषी कहलाई,

भक्तन वैभव दियो ॥

 

॥ ॐ जय संतोषी माता ॥

 

शुक्रवार प्रिय मानत,

आज दिवस सोही ।

 

भक्त मण्डली छाई,

कथा सुनत मोही ॥

 

॥ ॐ जय संतोषी माता ॥

 

मंदिर जगमग ज्योति,

मंगल ध्वनि छाई ।

 

विनय करें हम बालक,

चरनन सिर नाई ॥

 

॥ ॐ जय संतोषी माता ॥

 

भक्ति भावमय पूजा,

अंगीकृत कीजै ।

 

जो मन बसे हमारे,

इच्छा फल दीजै ॥

 

॥ ॐ जय संतोषी माता ॥

 

दुखी,दरिद्री ,रोगी ,

संकटमुक्त किए ।

 

बहु धनधान्य भरे घर,

सुख सौभाग्य दिए ॥

 

॥ ॐ जय संतोषी माता ॥

 

ध्यान धर्यो जिस जन ने,

मनवांछित फल पायो ।

 

पूजा कथा श्रवण कर,

घर आनंद आयो ॥

 

॥ ॐ जय संतोषी माता ॥

 

शरण गहे की लज्जा,

राखियो जगदंबे ।

 

संकट तू ही निवारे,

दयामयी अंबे ॥

 

॥ ॐ जय संतोषी माता ॥

 

संतोषी मां की आरती,

जो कोई नर गावे ।

 

ॠद्धिसिद्धि सुख संपत्ति,

जी भरकर पावे ॥

 

॥ ॐ जय संतोषी माता ॥

 

॥ इति श्री संतोषी माता आरती 

 

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