रातके बारा बजे थे.श्याम अपनी बिजनेस टूर खत्म करके घर लौट रहा था.बहूत तेज बारीश हो रही थी.श्याम की गाडी गेटके अंदर पास हुयी तभी उसे वहा रूचा टँक्सीके लिए खडी दिखी.बारीशमे वो पुरी तरह भीग चुकी थी.श्यामको उसका चेहरा देखा हुवा तो लग रहा था,लेकीन याद नहीं आ रहा था.गेटके पास वॉचमनके बाजूमे पेडके नीचे वो टँक्सीका वेट कर रही थी.श्यामने वॉचमनको बुलाया और पुँछा,"वो लडकी कौन है?"

"डॉक्टर मँडम है,हमारी माँजीके रूटीन चेकअप के लिए आती है."

"तभी तो वो मुझे जानी पहचानीसी लगी शायद."श्यामने उसे अंदर बुलानेके लिए कहाँ.

रुचाको पता था अब इतनी तेज बारीशमे और वोभी इतनी रातको उसे कोई टँक्सी नही मिलनेवाली थी.रूचाभी चुपचाप गेटके अंदर आ गयी और गाडीयोंकी पार्किंगमे जाकर खडी हूयी.एक वॉलके सहारेसे खडी हूयी रूचा बारबार आसमानमे देख रही थी की कब ये बारीश बंद होगी.आधा घंटा हो गया लेकीन बारीश रूकनेका नामही नही ले रही थी.उपरसे स्ट्रीट लाईटभी बंद हो गयी.अबतो टँक्सी मिलनेकी कोई गँरंटी नही थी.

श्याम फ्रेश होकर खिडकीसे बारीश देख रहा था.तभी उसने रूचाको पार्किंगमे देखा.उसी समय रुचाकी नजरेभी खिडकीपर चली गयी.श्यामको देखकर रूचाने अपना मुँह फेर लिया.श्यामभी खाना खाने डायनिंग टेबलपे चला गया.श्यामकी माँ आशाताई उसका इंतजारही कर रही थी.

"कैसा रहा तुम्हारा सफर?"

"हमेशाकी तरह .क्या बनाया है आज मेरे लिए."

"तुम्हारी मनपसंद बिरयाणी"

"माँ वो तुम्हारी डॉक्टर हमारे पार्किंगमे खडी है."

"कौन?डॉक्टर रूचा.वो तो आधा घंटे पहलेही निकल गयी."

"जी नही,बारीशकी वजहसे उसे कोई टँक्सी नही मिली.वो वॉचमनके बाजूमे खडी थी.मैनेही उसे गेटके अंदर आनेके लिए कहाँ."

"अच्छा तोफीर घरके अंदरही बुलाना चाहीए था ना.रघू डॉक्टर रूचा पार्किंगमे खडी है.उन्हे कहो मैने अंदर बुलाया है."

"जी ,माँजी"

"मँडम ,आपको मालकीनने अंदर बुलाया है."

"जी नही,शुक्रीया.मै पुरी तरह भीगी हुयी हूँ.मेरे कपडोंकी वजहसे आपका घरभी गंदा हो जाएगा."

"जैसा आप ठीक समझे."

"मालकीन वो कह रही है मेरे कपडे गीले है.हमारा घर गंदा हो जाएगा."

"अरे ऐसे कैसे गंदा हो जाएगा.तुम मेरे कमरेसे एक टॉवेल लेके आओ."

"रूचा,रूचा ....कहाँ हो तूम?"

"जी ,यहाँ हूँ मै."मच्छरोंको मारते हूए रूचाने जवाब दिया.

"ये लो टॉवेल और अपनेआपको पोछलो.जल्दीसे घरके अंदर आवो,वरना ये मच्छर तुम्हे मलेरीयाका पेशंट बना देंगे.फीर मेरे जैसे पेशंट लोगोंका क्या होगा?"

'जी,जैसा आप ठीक समझे."

रूचाने टॉवेलसे अपने बाल पुरीतरह पोछ लिए और उन्हे सुखानेके लिए खुलाही छोड दिया.अपने बालोंको सवारते हूए वो घरके अंदर आयी.आशाताईंने उसे अलग खुर्ची दी बैठने के लिए.

"आवो बैठो.आजकी रात यही रूक जावो.वैसेभी मेरे घरमे मै और मेरा बेटा  हम दोनोही रहते है.शहरकी स्ट्रीट लाईट्सभी बंद है.ऐसेमे अकेली लडकीका इतनी रातको टँक्सीसे सफर करना ठीक नही."

"जी,देखते है."

"तुम्हारे लिए कुछ खानेके लिए लाऊँ."

"जी नही,मै ठीक हूँ"

"मैने मेरे बेटेके लिए अपने हाँथोसे बिरयाणी बनायी है,जरा चखकेतो देखो."

श्याम बीचबीचमे रूचाको देख रहा था और खानाभी खा रहा था.रुचाने सिर्फ एक बारही उसके तरफ देखा और अपनी नजरे झुकाली.आशाताई रुचाके लिए डीशमे बिरयाणी लेकर आयी.रूचाको बहूतही अजीब लग रहा था.इस तरह अनजान लोगोंके घरमे ...बिरयाणी खाना.आशाताईके घरेलू व्यवहारसे वो परेशान हो रही थी और शायद श्यामका वहाँ आसपास होनाभी उसे बेचैन कर रहा था.श्यामको रूचाकी परेशानी समझ आ गयी इसलिए वोभी जल्दीसे खाना खत्म करके अपने कमरेमे लौट गया.आशाताई और रूचा बहूत देरतक बाते करते रहे.थोडीदेरके बाद आशाताई रूचाको खुदके कमरेमे सोनेके लिए ले गयी .आशाताई लाईट ऑफ करके खुदतो सो गयी लेकीन रूचाको अनजान घरमे नींद नही आ रही थी.वो बहूत देरतक अपने मोबाईलमे चँटींग करती रही और सुबह छह बजे उसकी आँख लगी.

सुबह सात बजेही अचानकसे श्याम कमरेके अंदर अपनी माँको मिलनेके लिए आया.उसने अपनी माँसे बात करना शुरुही कीया तो उसकी आवाजसे रूचा जाग गयी और सोफेपे बैठ गयी.श्यामने उसे देखा और कमरेसे बाहर निकल गया.आशाताईभी अपने बेटेके पीछे बाहर चली गयी.रूचाको श्यामके सामने नींदसे जागना इतना अजीब लगा उसने जल्दीसे अपना बँग लिया और कीसीको बिना बताएही घरसे निकल गयी.गेटके बाहर कदम रखतेही उसने एक लंबी साँस ली और टँक्सी पकडके निकल गयी.

एक हफ्तेबाद रूचा अपनी सहेलीके शादीमे गयी.श्यामभी वही था.आमतौरपे श्याम शादीमे कभीभी खाना नही खाता था.लेकीन रूचाको देखकर वो खाना खानेके लिए रूक गया.श्याम दुल्हेको मिलनेके लिए स्टेजकी तरफ जा रहा था.रूचाकी उसकी तरफ पीठ थी.लेकीन जैसेही श्याम उसके पीछेसे गुजरा रूचाको उसकी मौजूदगी तुरंत महसूस हुयी.रुचाने जैसेही पिछे मुडके देखातो श्याम उसके सामने था.रूचाने फौरन अपना मुँह फेर लिया.श्याम स्टेजकी तरफ चला गया.जैसेही श्याम स्टेजपे चढा रूचाकी फ्रेंड आएशा जोरजोरसे बाते करने लगी."ओ माय गॉड ,लुक व्हू इज धिस?बिजनेस आयकॉन फ्रॉम माय कॉलेज.आय वॉन्ट टू मीट हीम अँट एनी कॉस्ट.रूचा मेरे साथ चलो."

"कहाँ?"

"श्याम अग्नीहोत्रीसे मिलने."

"तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या"

"कमॉन यार वो चला जाएगा.प्लीज ,प्लीज मेरे साथ चलो."बात करते करतेही आएशा रूचाका हाथ खीचके उसे श्यामके सामने ले गयी.

"हँलो सर ,मै आपसे बहूत दिनोंसे मिलना चाहती थी.मैभी चैतन्य इंजीनीअरींग कॉलेजमे पढ रही हूँ.मै आपके कंपनीमे एक्सपिरीअन्सकेलिए काम करना चाहती हूँ.क्या मै आ सकती हूँ?"

श्याम रूचा और आएशाको बार बार देख रहा था.नेहाभी कभी उसे तो कभी शादीकी भीडको देख रहीथी.श्यामने आएशाको अपना व्हीजीटींग कार्ड दे दिया और ऑफीस आनेके लिए कहाँ.आएशाकी खुशीका कोई ठिकाना नही था.शादीके भीडमे खाना खाते वक्त दोनोही एकदुसरेको देखे जा रहे थे.श्याम जैसेही शादीसे निकलने लगा,आएशाभी रूचाका हाँथ खीचके उसके पीछे ले गयी.गाडीमे बैठतेवक्त श्यामने मुडके देखातो रूचाकी नजरेभी उसेही तलाश रही थी.इसबार श्यामको रुचाके दिलका हाल पता चलही गया.घर जातेही श्यामने आशाताईसे बात करली और जल्दीही दोनोंकी शादीशुदा जिंदगी शुरु हो गयी.

शादी के दो महीनोंबाद आशाताईका रवैय्या बिलकूल बदल गया.एक दिन श्याम अपनी बिजनेस डील खत्म करके घर लौटनेवाला था.रूचा नाश्ता खत्म करके हॉस्पीटलकेलिए निकलही रही थी.तभी आशाताईंने उसे टोक दिया.

"आज पुरे दो हफ्तोंके बाद मेरा बेटा घर आ रहा है,श्यामको जल्दी घर आना.

"जी मै कोशिश करूंगी"

"कोशीश करूंगी मतलब ,तुम्हे आनाही होगा.मै तो कहती हूँ जब तक श्याम घरपे रहेगा,तुम छुट्टी लेलो.नयी नयी शादी हुयी है .मेरे बेटेकीभी अपनी बीवीसे कुछ ख्वाईशे होंगी.तुम अगर कुछ दिन हॉस्पीटल नही जाओगी तो कुछ फरक नही पडेगा.भगवानकी क्रूपासे हमारे घरमे लक्ष्मीकी कोई कमी नही है."

रूचाने सारी बाते सुनली और चली गयी.श्याम आठबजे आनेवाला था .रुचा सातबजेही घर पहूँच गयी.रूचा अपने कमरेमे फ्रेश होही रही थी की श्यामकी गाडी आ गयी. श्याम हॉलमे बैठा माँसे बाते कर रहा था की रूचाभी सोफेपे आकर बैठ गयी.

"आजतो हमें रूचाके हाथकी चाय पीनी है"

श्याम और रूचा दोनों एकदुसरेके तरफ देखके मुस्कूराने लगे.रूचा चाय बनानेके लिए कीचनमे गयी.श्यामभी उपर बेडरूममे फ्रेश होने चला गया.श्याम वहीपे बेडपे लेट गया.रुचा चाय लेकर बेडरूममे पहूँची.

"आज तुम घर जल्दी कैसे आ गयी?तुमतो दस बजे आतीहो ना."

"माँजीने कहाँथा जल्दी आनेकेलिए.आपके लिए."

"ओ...तोफीर आप हमारी वजहसे आज घर जल्दी तशरीफ लायी है."

रूचा शरमाभी रही थी और श्यामका बँगभी खाली कर रही थी.

"आप खानेमें क्या खाएंगे?"

"चिकन बिरयाणी बनाओ मेरे बेटेकेलिए अपने हाथोंसे",आशाताईकी आवाज आयी.

तीनों डायनिंग टेबलपे डीनरकेलिए बैठ गये.

"श्याम अभी मुझे जल्दीसे पोता चाहीए.पता नही कब भगवान उपर बुलाले.रुचानेअब तुम्हारेलिए पंधरा दिनकी छुट्टी लेली है.तुम कीतने दिन बम्बईमे रहोगे.?"

"अभी कुछ नही कह सकता."

रूचानेतो हॉस्पीटलसे छुट्टी नही ली थी लेकीन अपने साँसके सामने वो कुछ कह नही पायी.दुसरेही दिन श्याम आऑफीस चला गया.

"आज दोपहरकेलिए अच्छा खाना बनाओ श्यामके लिए.पतीका दिल जीतना हो तो उसके पेटसेही गुजरना पडता है."

रूचा साँसपर नाराज तो थी .पर कुछ कह नही पा रही थी.दो तीन दीन रूचा घरपे रूकी पर श्यामतो अपने कामपे निकल जाता था.घरमे सारे कामोंकेलिए नोकर थे.रूचा दिनभर घरपे बोअर हो जाती थी.रूचा हॉस्पीटलमे चली गयी.उसी दिन श्याम ऑफीससे दोपहर दो बजेही लौट आया.रूचाको रातको दसबजे घर लौटी.आशाताईका गुस्सा रूचाकी राहही देख रहा था.रूचाके कदम घरमे पडतेही आशाताई उँची आवाजमे बोलने लगी.

"आ गयी महाराणी.मैने इससे कहाँ था नयी नयी शादी हुई है .पंधरा दिनकी छुट्टी लेलो तो चली गयी हॉस्पीटल.औरत अगर कलेक्टरभी हो जाए तो घर और ग्रीहस्थी छूट नही जाती.पहले एक अच्छी बीवी बनो उसके बाद अपनी डॉक्टरी कीया करो."

आशाताई गुस्सेमे कमरेमे चली गयी.दुसरे दिन सुबह रूचा आशाताईको मनाने उनके कमरेमे गयी.तभी आशाताईने पंधरा दिनके टूरकी चिठ्ठी रूचाके हाथमे थमा दी.आशाताईने रुचा और श्यामको उसी दिन टूरके लिए घरसे निकाल दिया.रातकोही माँका गुस्सा देखकर श्यामनेभी कुछ नही कहाँ. रुचाको अपनी साँस रवैय्या बडा अजीब लगता था.आशाताईने रुचाका हॉस्पिटल बंद करके उसे एक हाऊसवाईफ बना दिया था.इसीवजहसे वो आशाताईसे बहूत नाराज थी.आशाताईको बहू पढीलिखी तो चाहीए थी,लेकीन उसका नौकरी करना उन्हें खटक रहा था.ये बात अब रूचा और श्याम दोनोंही समझ चुँके थे.कुछहीं दिनोंमे रूचाका हॉस्पीटल बारबार छुट्टी लेनेसे बंद हो गया.आशाताईको खुशी हुई.आशाताई अब बारबार पोतेकी जिद करने लगी और एकदिन रूचा की चुप्पीने अपना संयम तोड दिया.

"आजकल आप बहुत खुष है,क्योंकी आपको बहु तो पढीलिखीही होनीं थी लेकीन घरमेंही रुकके आपके आगेपीछे करनेवाली.अगर आपको सिर्फ एक हाऊसवाईफही चाहीए थी तो शादीसे पहीले बता देती.मैने इतने साल जो पढाई की उसका क्या?मेरे ख्वाबोंका क्या?ग्रीहस्थी और करीअर संभालना मुश्कील होता है लेकीन आपजैसे बडे लोग साथ दे तो आसानभी होता है माँजी.नारी ही नारीकी दुश्मन होती है हमें इस बातको गलत साबित करना है ..और उम्मीद है की आप मेरा साथ देगी."

आशाताई रातभर रूचाकी कहीं हुयी बातें भुल नहीं पायी.सुबह होतेही आशाताईने श्यामको रूचाको हॉस्पीटल छोडने के लिए कहाँ.श्याम और रूचा दोनोंही मन ही मनमें बहुत खुष हुए और जिंदगीकी एक नयी शुरूवात हुयी.

अर्चना पाटील ,
अमळनेर

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