मृत्यु लोकजीवन का अन्तिम सस्कार है जिसकी समाप्ति प्रायः शोक एव विषाद मैं होती है। मृतात्मा की सुगत के लिये प्रत्येक जाति में अपने पारंपरिक क्रिया कर्म प्रचलित हैं। अनेक जातियों में नाना दस्तूरों के साथ मृत्यु गीत भी गाये जाते है।