राजस्थान की लोकनाट्य परम्परा मे मेवाड़ के गवरी और उसके साहित्य पर शोध प्रबंध लिखने के सिलसिले में में जब भीलों में प्रचलित सुप्रसिद्ध गवरी (राई) में वर्णित भारत-गीति-गाथा-कथा को पढ़ रहा था तब उसमें वर्णित देवी अंबाब का सातवें पियाल (पाताल) जाकर बडल्या (वट वृक्ष) लाना, देवल ऊनवा में उसकी स्थापना करना, मान्या जोगी का अपने चेलों सहित उसे देखने आना|