सफेद बादल था आसमान में
एक अकेला नीले गगन में

वैसे था तो वो एक ही
मगर अंदर छिपाए छटा अनेक ही

नील गगन में काम था उसका सिर्फ यह
धरती वालों को बचाए तपती सूरज से वह

सफेदी में ना उसके कोई दाग था
दूर बहुत दूर काले बादलों का राज था

जब आई थी काले बादलों की सेना
जो था शांत खड़ा उसे लड़ने का था निर्णय लेना

निर्णय अब ये हो गया पीछे हटना असंभव था
वो अकेला लड़ा था सबसे चार माह का वो युद्ध था

वार जो होते थे बिजली के लहू धरती पे बरसता था
ये युद्ध जरूरी था जीवन में हर धरती वासी कहता था

थी नील गगन की साथ उसे वह काले बादलों पर टूट पड़ा
अंतिम उसकी जीत हुई अब वो स्वच्छ सुंदर सफेद था बड़ा ।

-KC

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