कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भैया दूज का पर्व मनाया जाता है। यों तो सारे भारत में इस पर्व की धूम रहती है, परन्तु महाराष्ट्र में भाऊ बीज, गुजरात में भाई बीज, बंगाल में भाई फोटा व उत्तर प्रदेश में भ्रातृ द्वितीया के रूप में यह विशेष लोकप्रिय है। लोग इसे यम द्वितीया भी कहते हैं।
यह सुखद अनुभूति का पर्व है। इस दिन जो भाई अपनी बहन के घर जाकर उसके हाथ का बना खाना ग्रहण करता है, वह धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है।
कथा
सूर्य के पुत्र पुत्री यम और यमी में बहुत प्रेम था परन्तु बाद में राज्यकार्य के कारण यम अपनी बहन के यमी अर्थात् यमुनाजी को भुल गए।
तब एक दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया को बहन ने भाई को निमन्त्रण भेजा। यम उद्विग्न हो उठे, उन्हें बहन के टीके की याद आई। वे यमुना के घर पहुंचे, वहन वहुत प्रसन्न हुई। उसने भाई का टीका किया।
टीके के बाद यम ने कुछ मांगने को कहा। बहन ने मांगा कि आज के दिन जो बहनें भाई का टीका करें, उनकी रक्षा होनी चाहिए।
भविष्योत्तर पुराण में इस कथा के अन्त में कहा गया है
'हे युधिष्ठिर! यमुना ने कार्तिक शुक्ल पक्ष की ने द्वितीया को ही अपने भाई को निमन्त्रित किया था।'' अतः इस पर्व का नाम यम द्वितीया पड़ गया।
इस दिन बहन के स्नेहपूर्ण हाथों से परोसा भोजन ग्रहण करना चाहिए।