एक सपने में एक डरावने सपने में मैंने काले कपड़े पहने जजों के होंठो को देखा जब उन्होंने मुझे मृत्युदंड दिया. लेकिन पहले मुझे जेल जाना होगा. डर के मारे मैं अपनी चेतना खो बैठा. उन लोगों की लंबी आकृतियों की बस धुंधली सी यादें थीं जो मुझे उठा कर नीचे की ओर ले गये थे...

लंबे अंतराल के बाद मुझे होश आया. अँधेरे में मैं अपनी पीठ के बल लेटा हुआ था. अब मेरे हाथ बंधे हुए न थे. आँखें खोले बिना ही मैंने अपने हाथ को हिलाया. मेरे हाथ किसी नम और सख्त जगह पर पड़ा था.

आँखें खोलने में मुझे डर लग रहा था. मैं भयभीत था कि मुझे कुछ दिखाई न देगा. मैंने प्रयास किया तो वैसा ही हआ जिसका मुझे डर था, वहाँ सिर्फ अँधेरा था.

मैं उछल कर खड़ा हो गया. मैंने बेतहाशा अपने हाथ इधर  उधर फैलाये. मूझे लग रहा था कि मेरे हाथ किसी मकबरे की दीवारों को महसूस करेंगे. आखिरकार मेरे हाथ ने एक सपाट, चिपचिपी और ठंडी दीवार को छुआ.

अपने कैद खाने का आकार कितना हैं ये जानने के लिये, मैं दीवार को टटोलता हुआ चलने लगा. ज़मीन पर फिसलन थी. मैं लड़खड़ा कर गिर गया. मैं इतना थका हुआ था कि में फिर मैं उठ ही न पायाँ. मैं ज़मीन पर पड़ा रहा और सो गया.

जागने पर मुझे लगा कि निकट ही रोटी और पानी रखा था. मैंने बेसब्री से रोटी खायी, पानी पिया. फिर मैंने अपने कैदखाने की छानबीन करने की सोची. शुरू में मैं बड़ी सावधानी से आगे बढ़ा, फिर थोडा निर्भयता से. अचानक लबादे के फटे हए कोने में मेरा पैर फंस गया और मैं धडाम से गिर गया. मैं चेहरे के बल लेटा रहा. मेरी ठोड़ी फर्श पर टिकी थी. लेकिन बाकी चेहरा किसी चीज़ को छु रहा था.

मैंने अपना हाथ आगे खिसकाया और यह जान कर कॉप गया कि मैं एक गोल गड्ढे के किनारे पर गिरा था. पत्थर का एक टुकड़ा उस गड्ढे में जा गिरा. कुछ मिनट बाद बहुत उसके प्रहार की आवाज नीचे से सुनाई दी।

कांपते हए, मैं धीरे-धीरे दीवार के पास वापस आ गया. आखिरकार मुझे गहरी नींद आ गयी. जब मैं उठा, सब कुछ बदल चुका था. ऊपर कहीं से रोशनी आ रही थी. मैंने सर उठा कर अपने आसपास देखा. दीवारों पर डरावने चित्र बने हए थे.

गोल गड्ढा मेरे बंधीगृह के बिल्कुल बीच में था. मेरे ऊपर ऊंची छत के उपर बूढ़े 'फादर टाइम' का विशाल चित्र बना था. बस उसकी दराँती की जगह एक पेंडुलम था. क्या पेंडलम चित्र का हिस्सा था, जैसा कि मैंने शुरू में समझा था? या फिर वह सचमुच हिल रहा था?

हल्का शोर सुन कर मैंने अपना सर घुमाया. फर्श पर देखा तो पाया कि गोल गड्ढे से बड़े बड़े चूहों की टोलियाँ बाहर आ रही थी. वह मांस के उस टुकड़े को खाने आ रहे थे जो मेरे निकट पड़ा था.

मैंने दुबारा ऊपर की ओर देखा, वह पेंडुलम दूर तक झूल रहा था और मेरे नजदीक आ गया था. पेंडलम के सिरे पर स्टील को एक चाप थी जो एक विशाल ब्लेड जैसी थी. कई घंटे शायद कई दिन मैं सहमासा उसे अपने ऊपर घूमता देखता रहा. 

तब मैं बचने का उपाय सोचने लगा, हालाँकि मैंने देर कर दी थी. मैंने मांस का बचाकूचा टुकड़ा उठाया और उसे उन रस्सों पर रगड़ा जिनसे मुझे बंधा गया था. फिर मैं स्थिर होकर लेट गया. सैंकड़ों चूहे कूद कर मुझ पर चढ़ गये और रस्सों को चबाने लगे. जैसे ही पेंडुलम का ब्लेड मेरे कपड़ों को चीरने लगा, रस्सै खुल गये. मैं सावधानी से पलटा और प्लेटफार्म से हट गया. में स्वतंत्र था!

तभी पेंडलम रुक गया. वह ऊपर छत की ओर चला गया. लेकिन धातु की बनी दीवारें गर्मी से चमकने लगी! मेरा कैदखाना बहुत अधिक गर्म हो गया और दीवारें मेरी ओर आने लगीं! मेरा दम घुटने लगा. जलती हुई दीवारें मुझे गड्ढे की तरफ धकेले लगीं. कुछ पलों बाद में गड्ढे के किनारे खड़ा कॉप रहा था. मेरा अंत निश्चित था.

डर के मारे में अंतिम बार, पूरे ज़ोर से और बड़ी देर तक चीखा. अचानक ज़ोर का धमाका हुआ मानो भोंपू बजे हों. डरावनी, चरचराने की आवाज़ के साथ दीवारें पीछे हट गईं.

जैसे ही मैं, बेहोशसा, गड्ढे में गिरने लगा, एक हाथ ने आगे आ कर मेरा बाजू थाम लिया. यह हाथ जनरल लासल्ले का था. फ्रेंच सेना टोलेडो में आ गयी थी. मेरे शत्रुओं का नाश हो गया था और आखिरकार में बच गया था.

समाप्त

 

 

 

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