कल सन्ध्या को पत्रों में मैंने पढ़ा कि नगर में एक महीने के लिये दफा 144 लगा दी गयी है जिसमें कोई लाठी-डंडा लेकर नहीं निकले। मेरी समझ में नहीं आया कि क्या बात है। विशेष ध्यान भी नहीं दिया। सन्ध्या समय कुछ इस प्रकार की चर्चा चली कि सम्भव है, हम लोगों की आवश्यकता पड़े। मैंने पूछा - 'क्या बात है?' कर्नल साहब ने कहा कि तुमने पढ़ा नहीं, नगर में दफा एक सौ चौवालीस लगा दी गयी है। नगर में रामलीला होनेवाली है, सम्भव है झगड़ा हो जाये।
मैं अभी तक यह नहीं जानता था कि रामलीला क्या है? राम का नाम तो मैंने सुना था। याद आता है कि कहीं किसी पुस्तक में पढ़ा भी था कि राम नाम का कोई राजकुमार था। राजनीतिक षड्यंत्र ने उसे राज्य से निकलवा दिया था। इसके विषय में मुझे और कुछ ज्ञात न था। किन्तु यह रामलीला क्या है, यह तो मुझे एक नई वस्तु जान पड़ी।
मैंने कहा कि मैंने तो यह भी नहीं समझा कि दफा एक सौ चौवालीस क्या है और रामलीला क्या है। कर्नल साहब ने कहा कि इतने दिनों तक यहाँ रहे, रामलीला नहीं जानते? रामायण का नाम सुना है? मैंने कहा कि हाँ, रामायण तो जानता हूँ, एक ग्रीक पुस्तक का अनुवाद है। कर्नल साहब ने कहा कि मैं विद्वान इतना नहीं हूँ कि बता सकूँ कि अनुवाद है या मूल। हाँ, इतना जानता हूँ कि रामायण एक पुस्तक है जो राजविद्रोह से भरी है। भारत सरकार कमजोर है, इसलिये उसने इसे जब्त नहीं किया। जो कुछ उसमें लिखा है उसी का नाटक के रूप में हिन्दू लोग सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन करते हैं।
उसमें लड़ाई इत्यादि दिखाते हैं जिसके द्वारा हिन्दू लोग धीरे-धीरे युद्धविद्या की शिक्षा देते हैं, जो भविष्य में हम लोगों के लिये बड़ी हानिकारक है। कठिनाई यह है कि इसे धर्म का स्वरूप इन लोगों ने दे रखा है। इसी से सरकार इसे बन्द करने से डरती है। उसका मतलब एक यह भी है कि हम लोग इस देश पर कभी राज करते थे, वह राज्य बड़ा अच्छा था। अंग्रेजी राज्य से उत्तम। इस प्रकार अंग्रेजी शासन की हीनता प्रकट की जाती है।
दफा एक सौ चौवालीस का नाम तो बदलकर सुधार की दफा रख देना चाहिये। यह फौजदारी दफा का एक कानून है, जिसने हम लोगों की रक्षा की है। नहीं तो हम लोग बड़ी कठिनाई में पड़ जाते। दफा तो पहले से थी, किन्तु इसकी उपयोगिता लोग नहीं जानते थे। सुनता हूँ, ठीक जानता नहीं, किसी भारतवासी कानूनदाँ ने ही इसकी व्यापकता बतायी। भारतवासी होते बड़े बुद्धिमान हैं। उन्हें बस अपनी ओर मिला लेने की बात है। वह यदि तुम्हारे मित्र हो जायें तो तुम्हारे लिये अपनी नाक कटा सकते हैं। दफा एक सौ चौवालीस के द्वारा आपका दाढ़ी बनाना रोका जा सकता है, आपका चश्मा लगाना रोका जा सकता है, आपका ससुराल जाना रोका जा सकता है, आपकी चिट्ठी रोकी जा सकती है, आपकी यात्रा रोकी जा सकती है। मृत्यु के अतिरिक्त कोई ऐसी बात नहीं है, जो इस दफा के द्वारा रोकी न जा सके।
वह इसलिये इस समय लगा दी गयी है कि भीड़ रहती है। ऐसे समय यदि हिन्दू लोग लाठी इत्यादि लेकर निकलेंगे तो सम्भव है कि नगर पर अधिकार जमा लें। मैंने पूछा कि हम लोगों के पास बन्दूकें हैं, हथियार हैं। लाठी से कैसे अधिकार कर लेंगे? उन्होंने कहा - 'हाँ, हो सकता है, किन्तु हम लोग किसी प्रकार अवसर देने के लिये तैयार नहीं हैं।'
मैंने कहा - 'अच्छी बात है, मैं रामलीला देखता हूँ कि कैसी होती है, उसमें क्या होता है।' कर्नल साहब ने कहा कि ऐसा तो भय से खाली नहीं है। मुझे इसके लिये प्रबन्ध करना होगा। एक ब्रिटिश सैनिक की जान खतरे में रहेगी। मैंने कहा कि जो हो, मैं देखूँगा अवश्य।