अब का सोवै सखि । जाग जाग ।
रैन बिहात जातरस-बिरियाँ, चोलीके बँद ताग ताग ॥
जोबन उमँग सकल कर बौरी आन-कान सब त्याग त्याग ।
ललितकिसोरी लूट अनँदवा, पीतमके गर लाग लाग ॥
लटक लटक मनमोहन आवनि ।
झूमि झूमि पग धरत भूमिपर गति मातंग लजावनि ॥
गोखुर-रेनुअंग अँग मंडित उपमा दृग सकुचावनि ।
नव घनपै मनु झीन बदरिया, सोभा-रस बरसावनि ॥
बिगसति मुखलौं कानि दामिनी दसनावलि दमकावनि ।
बीच-बीच घनघोर माधुरी, मधुरी बेन बजावनि ॥मुकतमाल उर लसी छबीली, मनु बग-पाँति सुहावन ।
बिंदु गुलाल गुपाल-कपोलन, इंद्रबधू छबि छावनि ॥रुनन झुनन किंकिनि धुनि मानों हंसनिकी चुहचावनि ।
बिलुलित अलक धूरि धूसरतन, गमन लोटि भुव आवनि ॥
जँघिया लसनि कनक कछनी पै, पटुका ऐंचि बँधावनि ।
पीताम्बर फहरानि मुकुतछबि, नटवर बेस बनावनि ॥
हलनि बुलाक अधर तिरछौंही बीरी सुरँग रचावनि ।
ललितकिसोरी फूल-झरनियाँ मधुर-मधुर बतरावनि ॥
 

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