22 साल की लिस्सने और 21 साल की क्रिस ने अपने बड़े-बड़े बैग तैयार किये और पनामा के घने जंगलों में ट्रैकिंग के लिए चल पड़ी।
उनके जंगल में जाने के दस दिन बाद यानी 1 अप्रैल को आई-फ़ोन से सहायता केंद्र के 911 नंबर पर फ़ोन किया गया और इसी दिन सैमसंग मोबाइल फ़ोन से 112(सहायता केंद्र नंबर) पर फ़ोन किया गया। ये दोनों फ़ोन लिस्सने और क्रिस के थे। इन दोनों फ़ोन से लगातार तीन दिन तक 911 और 112 पर सहायता के लिए फ़ोन आता रहा लेकिन आवाज़ साफ़ सुनाई नहीं दे रही थी। फिर भी सहायता केंद्र ने पुलिस को सूचित किया। दोनों डच लड़कियों के गायब होने की अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं लिखी गई थी। बाद में पुलिस को पता चला के ये लड़कियाँ यूरोपियन थी और मध्य अमेरिका में पढ़ती थी और कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के लड़कियाँ हफ्ते या दस दिन में ही अपने घर पर फ़ोन करते हैं इसलिए इन लड़कियों के माँ -बाप को पता नहीं था कि लड़कियाँ जंगल में ट्रैकिंग के लिए गई हैं और जब काफी दिन तक इनके घर इनकी कोई खबर नहीं आयी तब इनके माँ -बाप इनको ढूँढ़ते हुए कॉलेज पहुँचे और लड़कियों के ना मिलने पर उन्होंने पुलिस में इनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई। लड़कियों के फ़ोन को ट्रेस किया गया तो पता चला कि फ़ोन ३ अप्रैल के बाद बंद हो गए थे और लड़कियों के फ़ोन से कोई सम्पर्क नहीं हो पा रहा था।
रेस्क्यू टीम को खबर मिली कि ये फ़ोन पनामा के जंगलों से किये गए थे, तब पुलिस ने पनामा के जंगलों का रुख किया।
पनामा के जंगल इतने घने हैं कि कई जगह तो सूरज की रोशनी भी जमीन तक नहीं पहुँच पाती,पुलिस लड़कियों को कई दिन तक ढूँढती रही लेकिन उनका कुछ पता नहीं चल रहा था और दूसरी तरफ लड़कियों के माँ -बाप भी काफी परेशान थे ,उन्होंने ऐसे कई किस्से सुन रखे थे जिसमे लोग पनामा के जंगलों में गए और वापिस नहीं आये,यहाँ तक कि उनकी लाश भी नहीं मिली। लेकिन पुलिस अपना काम कर रही थी और लड़कियों के माँ -बाप के लिए पुलिस की जाँच ही आखरी उम्मीद थी।
दो महीने से ज्यादा का वक़्त गुज़र चुका था और अब पुलिस को लड़कियों के ज़िन्दा मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी और लड़कियों के माँ -बाप को भी इस बात का एहसास हो गया था। फिर भी वो पुलिस से जाँच जारी रखने की दरख़ास्त कर रहे थे। लड़कियों की गुमशुदगी के दस हफ्ते बाद जंगल में एक जगह एक बैग और कुछ दुरी पर इंसानी कंकाल मिले,पुलिस ने सारा सामान अपने कब्ज़े में लेकर कंकाल को डी.एन.ए जाँच के लिए भेज दिया और बैग को खोल कर सामान की जाँच करने लगी।
बैग में से पुलिस को आई-फ़ोन और सैमसंग कम्पनी के मोबाइल फ़ोन मिले ,ये वही फ़ोन थे जिनसे 911 और 112 (सहायता केन्द्र) पर फ़ोन किया गया था,जाँच के बाद पता चला के फ़ोन तीन दिन तक एक बार स्टार्ट करके इनसे फ़ोन किया गया फिर इन्हे बंद कर दिया गया,उंसके चार -पाँच दिन बाद तक ये फ़ोन हर दिन एक बार स्टार्ट किये गए लेकिन कोई फ़ोन नहीं किया गया,पुलिस का मानना था कि जंगल में फ़ोन नेटवर्क एरिया से बाहर होने की वजह से फ़ोन किया जाना सम्भव नहीं हो पाया होगा, इसलिए लड़कियाँ हर दिन फ़ोन स्टार्ट करके नेटवर्क चेक करती होंगी।
फ़ोन के अलावा बैग से 83 डॉलर , दो चश्में और कुछ अन्तःवस्त्र मिले,साथ ही एक इंश्योरेंस कार्ड मिला,जिस पर लिस्सने का नाम था! तो फिर क्रिस का बैग कहाँ गया,हो सकता है दोनों लड़कियाँ एक ही बैग लेकर गई हों या क्रिस का बैग चोरी हो गया हो,कुछ भी हो सकता है,पुलिस इन बातों पर गौर कर ही रही थी कि इतने में बैग से एक कैमरा मिला,जिसमे कुछ तस्वीरें थी ,पुलिस ने कैमरे की जाँच की तो उसमे से ९० तस्वीरें मिली ,जो दोनों लड़कियों ने खींची थीं। इनमे से तीन तस्वीरें ब्लैक थी और कुछ तस्वीरों में क्रिस और लिस्सने थी ,लेकिन ज्यादातर तस्वीरें पेड़ पौधों और जंगल की थी और ऐसा लगता था कि ये तस्वीरें किसी नासमझ से गलती से खिंच गईं हैं ,तो क्या इन दोनों के सामान को किसी ने छेड़ा था अगर ऐसा था तो फिर ये कैमरा दोबारा बैग में कैसे पहुँच गया ? पुलिस इन बातों पर गौर कर ही रही थी कि इतने में डी.एन.ए रिपोर्ट आ गई और पता चल गया कि कंकाल क्रिस और लिस्सने के ही थे।
पुलिस काफी दिन तक उनकी मौत की वजह ढूँढती रही लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं ढूँढ पाई। ट्रैकिंग विशेषज्ञ का कहना था कि लड़कियों ने घने जंगलों में ट्रैकिंग की सही तैयारी नहीं की थी और दोनों किसी हादसे का शिकार हो गई थी। तस्वीरों में दिख रही कलेबरा नदी को देख कर पुलिस का मानना है कि दोनों नदी में नहाने गई होंगी और एक का पैर फिसला होगा और उसे बचाने के चक्कर में दूसरी भी नदी में गिर गई होगी या किसी जंगली जानवर का शिकार हो गई होंगी। कई स्थानीय लोगों का मानना है कि ये किसी आत्मा का काम भी हो सकता है ,लेकिन पुलिस को उनकी बात पर यकीन नहीं है। पर पुलिस उनकी हत्या की बात से भी इन्कार नहीं करती।
खैर! लड़कियों की मौत की वजह क्या है? ये रहस्य पुलिस आज तक नहीं सुलझा पाई और ये अनसुलझी पहेली आज भी ज्यों की त्यों है!