1.व्लादिमीर देमिखोव - दो सिरों वाले कुत्ते का सर्जन
१९५४ में एक रूसी सर्जन व्लादिमीर देमिखोव ने अपना करिश्मा दुनिया के सामने पेश किया : एक दो सर वाला कुत्ता | एक पिल्लै के सर को एक जर्मन शेफर्ड के गले के साथ जोड़ दिया गया था | दूसरा सर दूध पीता था हालाँकि उसे आहार की ज़रुरत नहीं थी – और वही दूध फिर उसकी कटी हुई खाने की नली से नीचे बहता रहता था | हालाँकि दोनों जानवर ऊतक अस्वीकृति के वजह से जल्द मर गए फिर भी देमिखोव ने अगले 15 साल में ऐसे १९ और कुत्तों का निर्माण किया | सर्जरी का विडियो देखें
2.स्तुब्बिंस फ़र्थ:पीत ज्वर की उलटी पीने वाला डॉक्टर
१८०० के दशक में फ़िलेडैल्फ़िया में ट्रेनिंग कर रहे एक डॉक्टर स्तुब्बिंस फ़र्थ ने ये परिकल्पना की की पीत ज्वर एक छुआ छूत की बीमारी नहीं है और इसे अपने ऊपर जांचने का फैसला किया | उसने पहले उस संक्रमित उलटी को अपने खुले घावों में डाला और फिर उस उलटी को पी गया | वह बीमार नहीं पड़ा पर वो इसलिए नहीं क्यूंकि पीत ज्वर एक छुआ छूत की बीमारी नहीं है: बाद में पता चला की उसका संक्रमण सीधे खून के रस्ते होता है एक मच्छर के काटने से |
३.जोसेफ मेंगेल : मौत का फ़रिश्ता
जोसेफ मेंगेल इसलिए मशहूर हुए क्यूंकि वह उन चिकित्सकों में से थे जो आते हुए कैदीयों में से ये चुनाव करते थे की कौन जिंदा रहेगा और कौन बंधुआ मजदूर बनेगा , इसके इलावा वह कैंप वासियों पर जो उन्हें मौत का फ़रिश्ता बुलाते थे पर मानव प्रयोग करते थे |
ऑस्च्वित्ज़ में मेंगेल ने कई जुड़वाँ शोध किये | उनके शोध के पूरे होने पर इन जुड़वाँ का क़त्ल कर उनके शरीर को विच्छेदित कर दिया जाता था | उन्होनें एक ऐसे शोध का नेतृत्व किया जिसमें दो बंजारे बच्चों को एक साथ सिल कर जोड़ दिया गया ; दोनों ही बच्चों के हाथों में जहाँ नस जोड़ी गयी थी वहां गहरा संक्रमण हो गया | मेंगेल जुड़वाँ अक्सर एक जैसे दिखने वाले जुड़वाँ से खून निकालने के मामले में बहुत कट्टर थे | कहा जाता है की उन्होनें कई को ऐसे खून बहा कर ही मौत प्रदान की है |
ऑस्च्वित्ज़ कैदी अलेक्स देकेल ने कहा : “ में कभी इस बात को मान नहीं पाया की मेंगेल सोचते थे की वह कोई बहुत संजीदा काम कर रहे हैं – क्यूंकि वह अपने हर काम को बहुत असाव्धानिपूर्ण करते थे | वह सिर्फ अपनी ताक़त आजमा रहे थे | मेंगेल की कसाई की दुकान थी – काफी सारी सर्जरी वो बिना बेहोश किये करते थे | एक बार मेने पेट का ऑपरेशन देखा जिसमें वो बिना बेहोश किये पेट के अंग निकाल रहे थे | अगली बार दिल निकाल रहे थे लेकिन वो भी बेहोश किये बिना | यह बहुत भयानक था | मेंगेल ताक़त के नशे में पागल हो जाने वाला डॉक्टर था | किसी ने उससे कभी सवाल नहीं पूछे – ये क्यूँ मरा ? दुसरे को क्या हुआ था मरीजों की गिनती मायने नहीं रखती थी | वह विज्ञान के नाम पर सब कुछ करते थे , लेकिन वो उनका पागलपन था |
4 जोहान कोनराड दिप्पेल : मूल फ्रेंकस्टीन
जोहान कोनराड दिप्पेल एक पागल शोधकर्ता था और उसका जन्म जर्मनी के दर्म्स्ताद्त इलाके में १६७३ में कैसल फ्रेंकस्टीन में हुआ था | उन्हें मैरी शीली की किताब” फ्रेंकस्टीन” का मुख्य किरदार माना जाता है , हालाँकि ये विचार अभी भी विवादास्पद है |
धर्मशास्त्र, दर्शन और कीमिया पढने के बाद उन्होनें जानवरों की हड्डी ,खून और अन्य उत्पादों से एक जानवरों का तेल बनाया जिसका नाम था दिप्पेल का तेल था और जिसको किमियाकारों के सपने “अमृत” के बराबर माना जाता था | ये कहा जाता है की शरीर रचना के कुछ कामों के लिए बड़े बर्तनों में शरीर के अलग अंगों को खौलाना होता था जिससे किसी तरीके का पागल आदमी का स्टू बनता था , और उन्होनें एक शरीर से दुसरे शरीर में नली ,चिकनाई और कीप की मदद से आत्मा स्थानांतरित करने की भी कोशिश की |
5 गिओवान्नी अल्दिनी – लाशों का इलेक्ट्रोकुशिओनर
अल्दिनी लुइगी गलवानी का भतीजा था | उसके चाचा ने गैल्वनीय विज्ञान का अविष्कार किया था जब मेडक के पैरों पर बिजली प्रवाहित करने का शोध उन्होनें पूरा किया | अल्दिनी इन शोधों को और आगे ले गए | अल्दिनी ने ये शोध लाशों पर किये |
श्रोताओं के सामने उसने एक मरे कातिल जॉर्ज फोरस्टर पर ये शोध किया | उसने मरे आदमी के मलाशय में बिजली की छडें लगाईं जिससे वह हवा में हाथ मारने लगा और वह पैर भी चलाने लगा | चेहरे पर छडें लगाने से वह कांपने लगा | उसकी बाईं आंख खुल गयी | मोजूद कई लोगों को लगा की मरा हुआ आदमी जिंदा हो गया है और अगर ऐसा है तो उसे फिर मारना पड़ेगा | एक शक्स तो इतना डर गया की वहां से निकलने के कुछ देर बाद ही उसकी मौत हो गयी |
6.सेर्गेई ब्र्युखोनेंको: कुत्तों को काटने वाला
व्लादिमीर देमिखोव से भी