३०. टी रूम सेक्स अध्ययन
समाजशास्त्री लौड़ हुम्फ्रेय्स अक्सर उन आदमियों के बारे में सोचते थे जो दुसरे आदमियों के साथ सार्वजानिक विश्रामगृहों में यौन सम्बन्ध स्थापित करते थे | वह सोचते थे की क्यूँ "टी – रूम सेक्स"- सार्वजानिक विश्राम गृह में मुखमैथुन – के कारण ही यूनाइटेड स्टेट्स में सबसे ज्यादा सम्लेंगिक गिरफ्तारियां होती थी | हम्फ्रे ने अपनी वाशिंगटन विश्वविद्यालय में चल रही पीएच .डी के लिए चौकीदार ( वह जो किसी अजनबी या पुलिस अधिकारी  के नज़दीक आने पर इशारा कर देता है) बनने का फैसला किया  | अपनी शोध के दौरान हम्फ्रे ने 100 से ऊपर मुखमैथुन की क्रियाओं को होते देखा और कई भागीदारों से बात भी की | उन्हें पता चला की इनमें से ५४% शादीशुदा थे, और ३८% साफ़ तौर पर न तो सम्लेंगिक थे न द्विलिंगी | हम्फ्रे की शोध ने जनता और क़ानून के अधिकारीयों की काफी धारणाओं को तोड़ डाला |

२९. जेल के कैदीयों का परिक्षण वस्तुओं की तरह इस्तेमाल
१९५१ में डॉ अल्बर्ट एम् .क्लिग्मन, पेंन्य्स्लावानिया के विश्वविद्यालय के त्वचा विशेषज्ञ और रेटिन-ऐ के भावी आविष्कारक ने फ़िलेडैल्फ़िया के होल्मेस्बुर्ग जेल में कैदीयों पर अपना परिक्षण शुरू किया | जैसे क्लिग्मन ने बाद में एक पत्रकार को बताया " मुझे सिर्फ बहुत सारी त्वचा दिख रही थी | ये ऐसा था जैसा एक किसान को पहली बार खेत देख कर महसूस होता है"| अगले २० साल तक कैदीयों ने क्लिग्मन को अलग अलग शोधों के लिए अपने शरीर का इस्तेमाल करने की इजाज़त दे दी | इन शोधों में शामिल थे दंतमंजन, डीओडेरनट,शैम्पू,त्वचा की क्रीम,डिटर्जेंट,तरल आहार,ऑय ड्रॉप्स, पैरों का पाउडर और हेयर डाई | हांलाकि इन शोधों में लगातार बायोप्सी और दर्दनाक प्रक्रियाओं की ज़रुरत होती थी फिर भी किसी भी कैदी को इस से लम्बे समय तक नुक्सान नहीं पहुंचा |

२८ हेनरीएत्ता लाच्क्स
१९५५ में हेनरीएत्ता लाच्क्स, बाल्टिमोर से एक गरीब अनपढ़ अफ्रीकन –अमेरिकन औरत कुछ ऐसी कोशिकाओं की स्रोत थी जिन्हें चिकित्सा अनुसन्धान के लिए सुसंस्कृत किया गया | हांलाकि शोधकर्ताओं ने पहले भी कोशिकाओं को सुसंस्कृत करने की कोशिश की थी लेकिन हेनरीता की कोशिकाओं को सबसे पहले जीवित रख क्लोन किया गया | हेनरीता की कोशिकाओं ( उपनाम हेला कोशिकाएं) ने पोलियो वैक्सीन, कैंसर अनुसंधान, एड्स अनुसंधान, जीन मैपिंग, और अनगिनत अन्य वैज्ञानिक प्रयासों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है | हेनरीता गरीबी के हालातों में ख़तम हो गयी और परिवार के कब्रिस्तान में बिना समाधी के दफनाई गयीं | कई दशकों तक उनके पति और पांच बच्चों को अपनी पत्नी और माँ के आधुनिक चिकित्सा के लिए अद्भुत योगदान के बारे में अँधेरे में रखा गया |

२७ QKHILLTOP परियोजना
१९५४ में सी आई ऐ ने एक शोध जिसका नाम था QKHILLTOP परियोजना की शुरुआत की चाइना के लोगों द्वारा अपनाई गयीं दिमाग मापने की तकनीक को समझने के लिए, जिसका इस्तेमाल उन्होनें बाद में पूछताछ के नए तरीक विकसित करने के लिए किया | इस शोध का नेतृत्व कर रहे थे कॉर्नेल उनिवेरिस्टी मेडिकल स्कूल के डॉ हेरोल्ड वोल्फ्फ़ | सी आई ऐ से गुजारिश करने के बाद की वह उन्हें कारावास, अभाव, अपमान, अत्याचार, दिमाग मापने, सम्मोहन, और अन्य के बारे में जानकारी दें वोल्फ्फ़ का शोध गुट एक योजना बनाने लगा जिसके अंतर्गत वह गुप्त दवाइयां और मस्तिष्क को हानि पहुँचाने वाली प्रक्रियाओं का अविष्कार करने वाले थे | अपने लिखे ख़त में वोल्फ्फ़ ने अपनी शोध के हानिकारक असर को जांचने के लिए सी आई ऐ से "उपयुक्त परिक्षण वस्तुओं को उपलप्ध" करने के लिए कहा |

२६. स्टेटविल्ले जेल मलेरिया अध्ययन
दुसरे विश्व युद्ध के दौरान मलेरिया और अन्य उष्णदेशीय बीमारियाँ पसिफ़िक में अमेरिकन सेना के प्रयत्नों पर असर डाल रही थीं | इस स्थिति को काबू में लाने के लिए मलेरिया शोध परियोजना को जोलीएट इलेनॉइस के स्टेटविल्ले जेल में शुरू किया गया | शिकागो विश्वविद्यालय के डॉक्टरों ने ४४१ स्वयंसेवी कैदीयों को मलेरिया संक्रमित मछरों का शिकार बनवाया | हांलाकि एक कैदी की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गयी शोधकर्ताओं ने कहा की उसकी मौत का इस शोध से कोई लेना देना नहीं है | ये व्यापक रूप से प्रशंसित शोध २९ साल तक स्टेटविल्ले में चलता रहा, और इसमें शामिल था प्रिमक़ुइने, एक दवाई जिसका अभी भी मलेरिया और प्नयूमोसिस्तिस निमोनिया के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है, का सबसे पहला इंसानी परिक्षण |

२५ एमा एक्स्टीन और सिग्मुंड फ्रेयूड
हांलाकि २७ साल की एमा एक्सटीन ने सिग्मुंड फ्रेयूड से साधारण लक्षण जैसे पेट की तकलीफ और मानसिक तनाव के लिए संपर्क किया था,लेकिन उन्होनें उसका इलाज किया पागलपन और अत्यधिक हस्तमैथुन के लिए, एक ऐसी आदत जिसे उस वक़्त दिमागी सेहत के लिए बुरा माना जाता था | एमा के इलाज में एक हैरान करने वाली प्रयोगात्मक सर्जरी थी जिसमें उसको स्थानीय बेहोशी की दवाई और कोकीन दे कर उसकी  नाक के अंदरूनी हिस्से को दाग दिया गया | इसमें कोई आश्चर्य नहीं की एमा की सर्जरी एक दुर्घटना थी | एमा एक जायज़ रोगी थी या एक हाल की मूवी के हिसाब से फ्रेयूड की उसमें कामुक रूचि थी ये पता नहीं लेकिन फ्रेयूड ३ साल तक एमा का इलाज करते रहे |

२४. डॉ विलियम बेऔमोंट और पेट
१८२२ में मिशिगन के मच्किनाक टापू के एक फर व्यापारी को गलती से पेट में गोली लग गयी और उनका इलाज किया डॉ विलियम बेऔमोंट ने | अनुमान से विपरीत वह फर व्यापारी बच गया – पर उसके पेट में एक छेद बन गया जो कभी ठीक नहीं हुआ | इसको एक पाचन  प्रक्रिया समझने का अनूठा अवसर मान बेऔमोंट ने शोध शुरू कर दिया | बेऔमोंट ने एक धागे से खाने को बाँध दिया और इस छेद के रास्ते व्यापारी के पेट में डाल दिया | हर कुछ घंटे बाद बेऔमोंट उस खाने को बाहर निकाल ये देखते थे की उसका पाचन हुआ की नहीं | भयानक होने के बावजूद बेऔमोंट के शोधों से विश्वभर में इस बात को माना गया की पाचन एक यांत्रिक नहीं रासायनिक प्रक्रिया है |

२३. बच्चों पर एलेक्ट्रोशॉक प्रक्रिया
१९६० के दशक में न्यू यॉर्क के क्रीडमूर अस्पताल की डॉ लौरेट्टा बेंडर ने जो उन्हें लगा सामाजिक मुद्दों वाले बच्चों के लिए एक क्रन्तिकारी इलाज –इलेक्ट्रोशॉक प्रक्रिया की शुरुआत की  | बेंडर के तरीकों में शामिल था एक संवेदनशील बच्चे का एक बड़े गुट के सामने साक्षात्कार और विश्लेषण करना और फिर उस बच्चे के सर पर हलके से दबाव लगाना | अगर कोई बच्चा दबाव से हिल जाता था तो इसका मतलबथा की  ये स्चिज़ोफ्रेनिया के शुरुआती लक्षण हैं  | खुद एक परेशान बचपन का शिकार हुई कहा जाता है की बेंडर अपनी निगरानी में रह रहे बच्चों के प्रति दया नहीं दिखाती  थीं | जब तक उनके इलाज बंद हुए, बेंडर ने करीबन 100 बच्चों से ज्यादा पर इलेक्ट्रोशॉक प्रक्रिया अपनाई थी जिसमें सबसे छोटा ३ साल का था |

२२. आर्टीचोक परियोजना
१९५० के दशक में सीआईऐ के वैज्ञानिक इंटेलिजेंस के कार्यालय ने एक सवाल " क्या हम एक इंसान पर इतना नियंत्रण कर सकते हैं की वह हमारे इशारे पर काम करे और प्रकृति के नियमों के विरुद्ध भी जाए ?" के जवाब में दिमाग नियंत्रण की परियोजनाओं की श्रृंखला की शुरुआत की | इनमें से एक आर्टीचोक परियोजना में सम्मोहन, ज़बरदस्ती अफीम की लत, मादक पदार्थ छोड़ने की प्रक्रिया और अनजाने इंसानों में स्मृतिलोप को उभारने  के लिए रसायिनों का इस्तेमाल का अध्ययन किया गया  | हांलाकि इस परियोजना को १९६० में आखिरकार बंद कर दिया गया, इस परियोजना ने फील्ड ऑपरेशन में दिमागी नियंत्रण की व्यापक शोध का रास्ता खोल दिया |

२२. मानसिक रूप से विकलांग बच्चों में हेपेटाइटिस
१९५० के दशक में न्यू यॉर्क के राज्य द्वारा नियंत्रित विल्लोब्रूक राज्य विद्यालय, एक मानसिक रूप से विकलांग बच्चों के विद्यालय में हेपेटाइटिस फ़ैल गया | गन्दगी की वजह से अपरिहार्य था की इन बच्चों को हेपेटाइटिस होगा ही | इस रोग की जांच के लिए डॉ सौल क्रुगमन ने एक शोध का प्रस्ताव दिया जो वैक्सीन विकसित करने में मदद करेगा | लेकिन इसके लिए बच्चों को जान बूझकर इस बीमारी का शिकार बनाना पड़ता| हांलाकि क्रुगमन की शोध शुरू से ही आपतिजनक थी, आलोचकों का मुंह माँ बाप के अनुमति पत्रों ने बंद कर दिया | हकीकत में अपने बच्चे को इस शोध के लिए हाज़िर कर देना इस भीड़ वाले संसथान में अपनी जगह बनाने का एक और तरीका था |

२०. मिडनाइट क्लाइमेक्स परियोजना
शुरुआत में १९५० में सीआईऐ के उप परियोजना की तरह स्थापित, मिडनाइट क्लाइमेक्स व्यक्तियों पर एल एस डी का प्रभाव समझने के लिए शुरू किया गया था | सन फ्रांसिस्को और न्यू यॉर्क में अनभिज्ञ  व्यक्तियों को सीआईऐ के लिए काम करने वाली वेश्याओं द्वारा अकेले घर में ले जा कर एलएसडी और अन्य दिमाग –बदलने वाले पदार्थ दिए जाते थे और एक तरफ़ा शीशे की मदद से उन पर नज़र रखी जाती थी | हांलाकि जब ये बात सामने आई की सी आई ऐ इंसानों को एलएसडी की खुराक दे रहा है इन घरों को १९६५ में बंद कर दिया गया,फिर भी मिडनाइट क्लाइमेक्स परियोजना यौन ब्लैकमेल, निगरानी प्रौद्योगिकी, और क्षेत्र के संचालन पर मन-फेरबदल दवाओं के उपयोग की व्यापक शोध की नाटक शाला थी |

१९. गलती से विकरण का शिकार हुए मनुष्यों का अध्ययन
१९५४ में "स्टडी ऑफ़ वेपन्स ऑफ़ ह्यूमन बींग्स एक्सपोज्ड तो सिग्निफिकेंट बीटा एंड गामा रेडिएशन डयू टू फॉल आउट फ्रॉम हाई यील्ड वेपन्स," दूसरा नाम परियोजना ४.1 अमेरिका द्वारा मार्शल द्वीपों के निवासियों पर की गयी एक चिकित्सिक शोध थी | जब कैसल ब्रावो परमाणु अध्यान का नतीजा ज्यादा हो गया तो सरकार ने एक गुप्त अध्यन का गठन किया गलती से विकरण का शिकार हुए मनुष्यों पर " उसके असर की तीव्रता को जांचने के लिए"  | हांलाकि सब लोगों का मानना है की ये गलती से हुआ, लेकिन कई मार्शल निवासी मानते हैं की परियोजना ४.1 का ख्याल कैसल ब्रावो टेस्ट से पहले ही जनम ले चुका था | पूर्ण रूप से २३९ मार्शल के निवासी विकरण की अत्यधिक मात्रा का शिकार हुए |

१८. राक्षसों का विश्लेषण
१९३९ में आयोवा विश्वविद्यालय के दो शोधकर्ताओं वेन्डेल जोहन्सन और मैरी तुदोर ने डेवनपोर्ट आयोवा में २२ अनाथ बच्चों पर एक हकलाने पर शोध किया | बच्चों को दो गुटों में बांटा गया जहाँ पहले गुट को सकरात्मक वाक् चिकित्सा दी गयी और बच्चों को उनकी वाक् कुशलता के लिए सराहा गया | दुसरे गुट को नकरात्मक वाक् चिकित्सा दी गयी और उनकी हर वाक गलती के लिए टोका गया | दुसरे गुट में शामिल सामान्य रूप से बोलने वाले बच्चों में ऐसी भाषण समस्याएँ विकसित हो गयीं जिन्होनें ज़िंदगी भर उनका साथ नहीं छोड़ा | नाज़ी द्वारा इंसानी परीक्षणों की ख़बरों से डर,जॉनसन और तुदोर ने अपनी "राक्षस शोध" के नतीजे कभी सामने नहीं आने दिए |

१७ एम्के अल्ट्रा प्रयोजना
एम्के अल्ट्रा प्रयोजना एक सीआईऐ द्वारा प्रायोजित शोध का नाम है जो मानव व्यवहार को समझने के लिए अलग अलग  परिक्षण करती थी | १९५३ से १९७३ तक इस प्रयोजना ने अमेरिकन और कैनेडियन निवासियों की दिमागी अवस्था समझने के लिए कई तरीके अपनाये | इन अनभिज्ञ इंसानी परिक्षण व्यक्तियों को एलएसडी और अन्य दिमाग प्रभावी दवाइयां,सम्मोहन,संवेदी अभाव, अलगाव, मौखिक और यौन शोषण, और यातना के विभिन्न रूपों से प्रताड़ित किया गया | शोध विश्वविद्यालयों,अस्पतालों,जेलों और दवाइयों की कंपनियों में होते थे | हांलाकि इस परियोजना का उद्देश्य था गुप्त कार्यों के संचालन में उपयोग करने के लिए सक्षम रासायनिक [...] सामग्री विकसित करना, फिर भी एम्के अल्ट्रा परियोजना का अमेरिका के भीतर सीआईए की गतिविधियों को जांचने के लिए गठित  कांग्रेस द्वारा कमीशनड जांच समिति ने बंद कर दिया |

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