ऐसा क्यूँ है है की विज्ञान की तरफ कई लोगों का झुकाव नहीं है ? निजी तौर पर मेरा मानना है की ये निर्भर है की इसे कैसे पेश किया जाता है और इस पर नहीं की विद्यालय में इसे किसे सिखाया जाता है | खाली विज्ञान और डेटा लोगों को प्रेरित नहीं करता - मज़ा, भावनात्मक और प्रेरक आख्यान करता है। हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहाँ हमें बिल नाए जैसे लोग चाहिए जो सामने आ विज्ञान का प्रदर्शन भी करें और साथ में मज़े भी करें | क्या ये इतना गलत है ? ये विवादास्पद है पर सच कहूं तो में समझ सकता है की क्यूँ कुछ वैज्ञानिक लोकप्रिय विज्ञान के ख्याल से घबरा जाते हैं | फिर भी कई उच्च वैज्ञानिक भूल जाते हैं की वह इस शेत्र में सबसे पहले किसी लोकप्रिय विज्ञान आन्दोलन की वजह से आ पाए हैं, चाहे वो अपोलो मिशन हैं,या पीबीएस पर कोई कंप्यूटर विज्ञान का कार्यक्रम या एक प्रेरणा दायक दोपहर जब आपके पडोसी ने आपको कार की कार्य प्रणाली समझाई थी |
इन सब बातों को दिमाग में रखते हुए, नीचे लिखी हैं १० ऐसी अधबुध चीज़े जो मेने विज्ञान की तरक्की की कृपा से सीखी हैं | ये वो जानकारी है जिसने मुझे हर दिन ज्यादा सीखने के लिए प्रेरित किया और मेरी ऐसी ख्वाइश है की ऐसा ही कुछ आपके साथ भी हो | ये सूची काफी छोटी है, इसीलिए में चाहता हूँ की आप कमेंट अनुभाग में अपनी कुछ ज्ञानवर्धक बातें लिख इस सूची को आगे बढाएं |
१. एक साधारण आदमी के शरीर में इतना डीएनए होता है की इससे सूरज से प्लूटो तक का रास्ता 17 बार नापा जा सकता है |
इंसानी जीनोम, इंसानी कोशिकाओं में मोजूद जेनेटिक कोड में २३ डीएनए मोलेकुलेस हैं और हर में ५०० हज़ार से २.5 मिलियन नुक्लेओटाइड की जोड़ी बन सकती हैं | इस आकार के डीएनए मॉलिक्यूलस जब खुली हों तब १.७ से ८.५ सेन्टीमीटर तक लम्बी होती है और औसतन इनकी लम्बाई 5 सेन्टीमीटर तक होती है | इंसानी शरीर में करीबन 37 ट्रिलियन कोशिकाएं हैं और अगर आप हर कोशिका में मोजूद डीएनए को खोल दें और एक एक करके लगा दें तो इनकी पूरी लम्बाई होगी २*१०१४ मीटर होगी जो 17 बार प्लूटो के आने जाने के रस्ते के बराबर होगा |(1.२*१०१३ मीटर /प्लूटो आने जाने का रास्ता )
२. एक साधारण इंसानी शरीर में इंसानी कोशिकाओं से ज्यादा बैक्टीरियल कोशिकाएं होती है |
ये बहुत हंसी की बात है की हम कैसे बार बार अपने हाथ धोते हैं, अपने घर को साफ़ सुथरा रखते हैं और जब कोई हमारे पास खड़े हो कर छींकता है तो कैसे शकल बनाते हैं – हकीक़त में हम वह सब करते हैं जिससे हमारा सामना कीटाणुओं से न हो | सच तो ये है की हम सब एक चलती फिरती बैक्टीरिया की दुकान हैं ! हमरे शरीर में जितना बैक्टीरिया है वो आधा गैलन जग को भर सकता है ऐसा आयडाहो विश्वविद्यालय के सूक्ष्मजीव विज्ञानी कैरोलिन बोहाच का मानना है | पर घबराइए नहीं | इनमें से अधिकतर बैक्टीरिया उपयोगी हैं ; असल में हम शायद उनके बिना जिंदा भी न रह पाएं |
क्यूंकि पहली बात, ये बैक्टीरिया ऐसे रसायन पैदा करते हैं जो हमें हमारे खाने से ताकत और पोषण निकालने में मदद करते हैं | कीटाणु मुक्त कृन्तक को साधारण क्रिन्तकों से ३ गुना ज्यादा कैलोरीज की खपत करनी पढ़ती है अपने शरीर का वज़न बनाये रखने के लिए,और जब इन जानवरों को बैक्टीरिया की खुराक दी जाती है तो उनके शरीर का फैट स्तर बिना उतना खाना खाए ही बढ़ जाता है | पेट के बैक्टीरिया बीमारी से लड़ने की ताकत बढ़ाने के लिए बहुत ज़रूरी हैं |
३. एक फोटोन को सूर्य के मध्य से निकल उसकी सतह तक आने में ४०००० साल लगते हैं, लेकिन सतह से धरती तक पहुँचने में केवल 8 मिनट लगते हैं |
औसतन एक फोटोन मान लीजिये डी रास्ता चलता है इससे पहले की एक अणु उसे समा कर किसी अलग दिशा में बिखेर नहीं देता | सूर्य के मध्य से सतह तक (६९६००० किलोमीटर) जहाँ से वह अन्तरिक्ष में जा सके, एक फोटोन को कई छलांगे लगानी पड़ती हैं | ये गणना कर पाना थोडा मुश्किल है पर नतीजा ये है की एक फोटोन को सूर्य की सतह तक पहुँचने के लिए कई हजारों और लाखों साल लग जाते हैं | एक तरीके से जो बिजली हम तक आज पहुँचती है वह शायद लाखों साल पहले उत्पादित उर्जा से बनी है | आश्चर्यजनक !
४. २००० किलोमीटर लम्बी द ग्रेट बैरियर रीफ धरती की सबसे बड़ी जीवित संरचना है |
कोरल रीफ्स में असंख्य निजी कोरल पोल्य्प्स होते हैं – नर्म शरीर, बिना हड्डी वाले जानवर – उतक से जुड़े हुए | द ग्रेट बैरियर रीफ ऐसी ही ३००० रीफ्स और ९०० कोरल द्वीपों का समावेश है, जो संकरे रास्तों में बंटा हुआ है, कोरल सी की सतह के ठीक नीचे | २००० किलोमीटर लम्बी और ३५०००० स्क्वायर किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ, वह धरती पर जीवित सबसे बड़ी संरचना है जो अन्तरिक्ष से भी दिखाई देती है | पर ये नाज़ुक कोरल कॉलोनी अब जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और मानव निर्मित आपदाओं के असर से टूटने लगी है |
५. एक चम्मच पानी में 8 गुना इतने अणु हैं जितने चम्मच पानी अटलांटिक महासागर में है |
एक चम्मच पानी (करीब 5 मिलीलीटर) में शामिल है २*१०२३ पानी के मोलेकुलेस, पर हर मॉलिक्यूल में ३ अणु होते हैं : २ हाइड्रोजन के और १ ऑक्सीजन का | इसके इलावा अगर आप एक चम्मच पानी के हर मॉलिक्यूल को एक के बाद एक रखेंगे तो पूरा रास्ता होगा ५० बिलियन किलोमीटर का या हमारे सौर मंडल की चौड़ाई का १० गुना |
६. एक साधारण मनुष्य अपनी पूरी ज़िंदगी में पूरी दुनिया के भ्रमण का 5 गुना रास्ता चल लेता है |
एक औसत मामूली तौर पर सक्रिय व्यक्ति हर दिन में 7,500 कदम लेता है | अगर आप अपना रोज़ का औसत बना के चलते हैं और ८० साल तक जीवित रहते हैं तो अपनी पूरी ज़िंदगी में वह करीब २१६,२६२,५०० कदम ले चुका होगा | गणना करें तो ; एक साधारण मनुष्य मामूली तरीके से भी चले और ८० तक जीए तो वह करीब ११०,००० मील चल लिया होगा | जो की पृथ्वी के 5 चक्कर काटने के बराबर होगा |
७. जब हीलियम को परम शून्य (-४६० फ़ह्रेनहाईट या -२७३ सेल्सियस) सबसे ठंडा तापमान तक लाया जाता है, तो वह आश्चर्यजनक गुणों वाला तरल बन जाता है, यह गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ बहता है और एक ग्लास कंटेनर के सतह से छलकने लगेगा |
हम सब जानते हैं की हेलियम ऐसी गैस है जो गुब्बारों में भरी जाती है और जिसके प्रभाव में इंसान बंदरों के जैसे बात करने लगता है ; पर ये कोई नहीं जानता है की वह २ तरल अवस्थाओं में पाया जाता है, जिसमे से एक थोडा डरावना है | जब हीलियम अपने खौलने के स्तर -४५२ फ़ह्रेनहाईट(-२७९ सेल्सियस) से थोड़े कम तापमान पर होता है तो वह अचानक से ऐसी चीज़ें करने लगता है जो अन्य तरल पदार्थ नहीं कर पाते हैं जैसे अणु-पतली दरार के बीच से निकलना,एक दिश के सतह तक चढ़ना, और उसके घुमाये जाने पर स्थिर हो जाना | अब वह एक साधारण तरल नहीं है हीलियम सुपर तरल बन जाता है – एक ऐसा तरल जो बिना घर्षण के बहता है |
जॉन बीमिश, एडमोंटन में अलबर्टा विश्वविद्यालय में एक प्रयोगात्मक भौतिक विज्ञानी का कहना है “ अगर आप एक तरल से भरे कप को नीचे रख दें और १० मिनट बाद आयें तो ज़ाहिर है वह तरल स्थिर हो गया होगा”| उस तरल के अणु आपस में टकरायेंगे और उनकी गति धमी हो जायेगी | “ पर अगर ऐसा आप कम तापमान में हीलियम के साथ करेंगे और लाखों सालों बाद भी आयेंगे” वह कहते हैं “ वह तब भी हिल रही होगी”|
8. अगर बेटलगुयूसे रेड सुपर जायंट स्टेज से सुपरनोवा के अपने परिवर्तन के रास्ते में फट जाए तो हमारा आकाश लगातार २ महीनों तक रोशन रहेगा | ऐसा कभी भी हो सकता है, कुछ हजारों साल बाद, कल या अभी अभी |
बेटलगुयूसे पृथ्वी से कुछ ४३० लाइट इयर्स दूरी पर है | फिर भी वह पृथ्वी के आकाश का सबसे रोशन सितारा है | वजह ये है की बेटलगुयूसे एक सुपरजाएंट तारा है – अन्तरिक्ष के सबसे बड़ा तारों की किस्म | बेटलगुयूसे की चमक सूर्य की चमक से १०००० गुना है और इसकी त्रिज्या सूरज से 370 गुना होने की गणना की जाती है। अगर उसको सूर्य के मध्य में रख दिया जाए तो उसकी त्रिज्या मार्स के त्रिज्या को पार कर जायेगी | क्यूंकि वह अपने जीवन के अंत पर है तो बेटलगुयूसे जल्द ही फूट कर सुपरनोवा बन जाएगा |
९. एक खून की कोशिका पूरे शरीर का चक्कर लगाने में करीब ६० सेकंड का वक़्त लेती है |
आपके शरीर में 5 लीटर खून होता है, और औसतन दिल हर धड़कन के साथ ७० मिलीलीटर खून पंप करता है | इसके इलावा एक स्वस्थ दिल एक मिनट में ७० बार धड़कता है | तो अगर आप एक मिनट में धडकनों को खून की मात्रा से गुना करें तो आपको मिलेगा ये अंक ४.९ लीटर खून जो की आपके पूरे शरीर के खून के बराबर है | एक मिनट में आपका दिल आपके पूरे खून की मात्रा को आपके शरीर में स्वचालित कर देता है |
१०. हमारा अन्तरिक्ष बना है ५0,000,000,000 आकाशगंगाओं से | एक साधारण आकाशगंगा में 100,000,000,000 से लेकर 1,000,000,000,000 तक तारे होते हैं | मिल्की वे में ही खाली करीबन १00,000,000 गृह हैं | अभी भी आपको लगता है आप अकेले हैं ?