सदियों से प्राचीन तिब्बती भिक्षु मन की शांति को प्राप्त करने के लिए ध्यान लगाया करते थे , और ये प्रचलन सिर्फ उन्ही की संस्कृति का हिस्सा नहीं है | आधुनिक शोधकर्ताओं को कई दशकों से ये पता है की ध्यान लगाने से एक व्यक्ति के तनाव को घटा कर , रक्तचाप को नीचे ला और उसके व्यव्हार को बदल कर उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सकता है |
पिछले कई सालों में मनोवैज्ञानिकों ने ध्यान के लाभ के अंतर्निहित मस्तिष्क की संरचना में हुए परिवर्तन को गंभीरता से लिया है| मुख्यतः उन्होनें अपनी शोध को दिमागी ध्यान पर केन्द्रित किया है | दिमागी ध्यान व्यक्तियों को अपना सारा ध्यान एक निश्चित अवधी, आम तौर पर १० या २० मिनट के लिए उनकी चेतना पर केन्द्रित करने की चुनौती देता है |
कई शोधो ने इस बात की पुष्टि की है की ध्यान हिप्पोकैम्पस , दिमाग का वो हिस्सा जो भावनाओं को नियंत्रित करता है का घनत्व और मात्रा बढ़ाने में काफी सहायक होता है | हिप्पोकैम्पस को लम्बे समय तक याद के गठन से भी सम्बंधित माना जाता है |
वैज्ञानिकों को ये भी पता चला की विशेषज्ञ साधक की मस्तिष्क की बाहरी सतह यानी कोर्टेक्स समय के साथ सिकुड़ जाती है | कोर्टेक्स की सिकुड़न हटाने से क्षेत्रफल बढ़ जाता है जिससे उस इलाके में दिमाग की पहुँच मज़बूत होती है | हम अपने अमूर्त विचारों और उच्च सोच की क्षमताओं के लिए कोर्टेक्स पर निर्भर करते हैं।
ध्यान को ध्यान-काल कठिनाइयों प्रतिक्रिया चिंता को कम करने, और मस्तिष्क के सामान्य उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में उपयोगी माना जाता है |
ऐसे कई सबूत हैं जिनसे ये साबित होता है की ध्यान मस्तिष्क में कई सकरात्मक बदलाव लाता है , इसीलिए अब ध्यान लगाने का वक़्त है |