उत्कृष्ट संस्थानों पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय का आक्रमण | ये सही नहीं श्रीमान मोदी
प्रिय दोस्तों
मैं पिछले दो महीने में मोदी जी की पसंद से थोड़ा निराश हो गया हूँ | में भी इस बात को समझता हूँ की दो महीनों में किसी व्यापक बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती है और उन्हें पिछली सरकार द्वारा किये गए झमेलों को सुलझाने के लिए काफी वक़्त लगेगा | पर में उनसे ये भी उम्मीद नहीं करता की वह अपने ही कोई नए झमेले बना लेंगे और मैं एक ऐसे क्षेत्र का आंकलन कर रहा हूँ जो की मुझे बहुत प्रिय और जहाँ उन्होंने एक काफी गंभीर मुद्दा पैदा कर दिया है |
अगर आपने मेरा सीआरआई लेख को पड़ा है , तो आप जानते होंगे की मेरा ऐसा मानना है की मोदीजी ने शिक्षा विभाग के साथ नाइंसाफी की है उसकी ज़िम्मेदारी एक ऐसे मंत्री को देकर जो न सिर्फ इस पद के लिए काबिल नहीं है अपितु उनकी शैक्षिक योग्यता पर बोले गए झूठों को देखकर ही पता चलता है की उन्हें इस विषय के लिए कितना सम्मान है | मुझे विश्वास नहीं होता की अगर किसी व्यक्ति को शिक्षा के लिए ज़रा सा भी सम्मान है तो वह शपथ लेते वक़्त अपनी शेक्षिक योग्यताओं(जो कोई भूलता नहीं है) के बारे में झूठ बोलेगा |
अब ये उनकी अनुभवहीनता है या इस क्षेत्र के लिए उनकी नाकाबलियत जो अब उनके फैसलों में नज़र आ रही है | आई आई एस सी के पास २०११ से एक पूर्ण रूप से चालू प्रतिष्ठित एफ वाय यू पी था | छात्रों और शिक्षकों के बीच अलगाव की कोई खबरें नहीं थी | एक सुबह यू जी सी(मानव संसाधन विकास मंत्रालय ही मान लें क्यूंकि यू जी सी तब तक ठीक थी लेकिन अब सरकार के इशारों का पालन करती है ) को बोला जाता है की उसे बंद कर दिया जाए | एक लेफ्ट सरकार के नेतृत्व में बड़े होने के कारण मुझे मालूम है की कैसे कोलकत्ता जो की कभी शिक्षा का बेहतरीन केंद्र होता था उसकी उच्च शिक्षा लेफ्ट के राजनितिक दखलंदाजी की वजह से बर्बाद हो गयी |
मेने ये भी देखा है की कैसे शैक्षिक स्वतंत्रता और राजनितिक हस्तक्षेप की कमी( या उसके सीमित होना)ने अमेरिका की उच्च शिक्षा को उस स्तर पर पहुँचाया है जिस पर वो अभी है | इसीलिए में इस बात से हैरान हूँ की कैसे भारत सरकार इतने अहम् मुद्दे पर लेफ्ट की तरह काम कर रही है और इस प्रक्रिया से भारत के कुछ बेहतरीन शेक्षिक संस्थानों जिन पर भारत को गर्व होना चाहिए को नष्ट करना चाहती है | निष्पक्ष तौर पर घृणित सोनिया सरकार ने भी सक्रीय रूप से उच्च शिक्षा को नुक्सान नहीं पहुँचाया था , उन्हें उसकी चिंता ही नहीं थी |
शिक्षा से जुड़े होने के कारण ये बात मुझे परेशान करती है की मेने एक ऐसे प्रधानमंत्री का समर्थन और उनके चुनावी अभियान में भाग लिया जो की अपने सरकार की शुरुआती काल में ही मुख्य शेक्षिक चरित्रों को खंडित करना चाहता है ( में ये जानता हूँ की अगर में बी जे पी के चुनावी अभियान का हिस्सा नहीं बनता तो भी उसकी जीत बदल नहीं जाती )| में इस बात पर काफी स्पष्ट हूँ की इस फैसले की ज़िम्मेदारी प्रधानमंत्री के ऊपर है – उन्होनें अपने नाम पर जनमत माँगा था और मानव संसाधन विकास मंत्री की नियुक्ति उन्ही का फैसला है |
आप जैसे कई लोगों के जैसे मेने अपनी कोई राजनितिक महत्वकांक्षाएं(मेरी ऐसी कोई इच्छा नहीं है ) पूरी करने के लिए या फिर किसी मुआवज़े की उम्मीद में मोदी सरकार का समर्थन नहीं किया था , बस ये आस्था थी की शायद वह नव भारत का निर्माण कर सकते हैं | बिना सोचे समझे नियुक्तियां और गलत निर्णयों के माध्यम से ऐसे क्षेत्र को खंडित करना जो मुझे बहुत अजीज हैं मुझे इस बात पर गंभीर रूप से सोचने को मजबूर करता है की कहीं मेरा आकलन एक त्रुटी तो नहीं थी –अतिप्राकलन की त्रुटी | मेरी मुख्य शेक्षिक मूल्यों की सोचूँ तो लगता है की अगर मुझे ये बात मालूम होती तो शायद में मतदान के समय कोई विकल्प नहीं का चुनाव तो नहीं करता (कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को में विकल्प नहीं मानता) | मेरे मोदी या बीजेपी में डांवाडोल होते समर्थन/विश्वास के बावजूद मेरी मुख्य राष्ट्रवादी मुद्दों पर प्रतिबद्धता में कोई बदलाव नहीं आएगा |
मेने आपसे अपने विचार बांटने का इसलिए फैसला किया क्यूंकि में अपनी स्थिति की पूरी जानकारी के साथ आपके राजनीती से जुड़े विश्वास को बांटना चाहता हूँ ख़ास तौर से इसीलिए क्यूंकि मेरे मन में आप लोगों के लिए गहरा सम्मान है और में अपनी बौद्धिक बातचीतों को काफी मूल्यवान समझता हूँ |
शुभकामनाएं
प्रोफेसर सास्वती सरकार