वह भूत जो जीवित जगत से बात कर सकते हैं उन्हें परस्पर संवादात्मक व्यक्तित्व प्रकार का माना जाता है | अक्सर ये भूत देखने वाले का कोई मरा हुआ दोस्त या रिश्तेदार होता है पर कई बार वह एक अनजान व्यक्ति का भूत भी हो सकता है | वह बुद्धिमान और जानकार मालूम होते हैं और जीवित दुनिया के वक़्त और अन्तराल के मुताबिक बातचीत कर लेते हैं | उनका रूप, दृश्य श्रव्य या टेलिपाथिक हो सकता है। कई घटनाओं में वह जीवित दुनिया में लोगों और वस्तुओं को स्पर्श कर सकते हैं |
ये भूत कई बार उन खुशबुओं को समावेश कर लेते हैं जो उनके जिंदा रहते उनसे जुडी थीं जैसे तम्बाकू , इत्र या अन्य कोई जानी पहचानी महक | जीवित मनुष्यों की तरह ये भी कई भावनाओं का प्रदर्शन कर लेते हैं जैसे प्यार, मस्ती से लेकर गुस्सा और डर | स्वाभाविक सी बात है की ये मुलाकात भूत के रवैय्ये के मुताबिक सुखद या भयानक हो सकती है |
परस्पर संवादात्मक व्यक्तित्व प्रकार की श्रेणी के भीतर , कई उपश्रेणियाँ भी होती है जो की भूत की दर्शक से रिश्ते के हिसाब से तय होती हैं | अगर दर्शक भूत को किसी मरे हुए दोस्त या परिवार जन की तरह पहचान लेता है तो उसी पारिवारिक व्यक्तित्व मानते हैं | इस श्रेणी में पति या पत्नी , माँ बाप , भाई बहन और नजदीकी दोस्त शामिल होते हैं क्यूंकि उनका दर्शक के साथ काफी नज़दीक का रिश्ता होता है | अभी तक देखे गए भूतों में ये सबसे आम और कम समय के लिए दिखने वाला भूत है | ऐसे दर्शन सिर्फ विदा लेने के लिए या शोकाकुल परिवार वालों को सांत्वना देने के लिए दिए जाते हैं | क्यूंकि ये एक बार से ज्यादा नहीं देखे जाते इसिलए उनका आलेख बनाना मुश्किल होता है |
ऐतिहसिक व्यक्तित्वों से दर्शक की निजी तौर पर जान पहचान नहीं होती है पर वह फिर भी देखने पर उन की पहचान कर लेता है | इनमें शामिल है एतिहासिक शक्सियत जैसे ऐनी बोलेन या अब्राहम लिंकन या प्रेतवाधित निवास के पूर्व निवासी या मालिक | इस श्रेणी में शामिल लोग दर्शक के पहचान योग्य होने चाहिए फिर चाहे वह पहचान दर्शन के बाद ही क्यूँ ना हो | इस श्रेणी में शामिल व्यक्तित्व और पारिवारिक व्यक्तित्व में फर्क ये होता है की उन्हें कई बार ,कई दर्शकों द्वारा लम्बे समय तक देखा जाता है ( कई बार दशकों बाद भी ) | वह इस दुनिया में एक इंसान के बजाय एक जगह से बंधे दिखते है | उनकी ये खूबी उनके विश्लेषण को आसान बना देती है |
पहली दो उपश्रेणियाँ उन व्यक्तित्व की है जो दर्शक की पहचान में होते हैं | तीसरी उपश्रेणी में शामिल हैं वो व्यक्तित्व जो दर्शक या शोधकर्ताओं से अज्ञात हैं | ये व्यक्तित्व मनुष्य जैसा ही होगा और उसमें वही संवादात्मक खूबियाँ होंगी जो बाकी भूतों में होती है पर ये व्यक्तित्व दर्शक से अज्ञात है | उदाहरण के तौर पर युध्क्षेत्र के आसपास स्थित किसी स्थान पर किसी ऐसे सैनिक का बार बार देखा जाना जो वहां रहता नहीं था इसीलिए उसकी कोई ऐतिहासिक पहचान नहीं है | इस तरह का व्यक्तित्व अक्सर गुस्सा, भय या भ्रम का प्रदर्शन करता है | इनकी मोजूदगी को परिलेखित किया जा सकता है पर इनके व्यक्तित्व के बारे में कुछ ख़ास जानकारी हासिल नहीं होती है |