तस्वीरों में देखे जाने वाले भूत अक्सर तीन श्रेणियों में आते है :प्रकाश्ग्रह ,चक्र या पूर्ण शरीर दर्शन | कई बार तस्वीर में देखे गए भूत की छवि के स्पष्टीकरण के लिए कोई और वजह दी जाती है , पर इस घटना के बार बार घटित होने की जांच होनी चाहिए |

एक प्रकाश्ग्रह एक रौशनी का प्रतिबिम्ब है जो बिना किसी मूल के फोटोग्राफ में दिखाई पड़ता है | वह अक्सर सफ़ेद या नीले होते हैं और एक या एक से ज्यादा भी हो सकते हैं |अगर उनका विडियो बनाया जाए तो वह चलते हुए दिखाई पड़ेंगे | कुछ क्षोध्कर्ता इन्हें पुराने समय की आध्यात्मिक उर्जा मानते है | कुछ मानते है की ये प्रकाश्ग्रह हवा में सम्मलित कण हैं जो कैमरा की रौशनी पड़ने से उत्पन्न होते हैं | लेकिन इस स्पष्टीकरण से ये साफ़ नहीं होता की ऐसे प्रकाश्ग्रह हर तस्वीर पर क्यूँ नहीं नज़र आते हैं | अगर ये बात सत्य होती तो एक कैमरा से या वैसी ही परिस्थिति में ली गयी तसवीरों में प्रकाश्ग्रह नज़र आने चाहिए |

चक्र या रौशनी के बादल बिना किसी वजह के कुछ तस्वीरों में नज़र आती है |धुंध  जैसे दिखने वाले छोटे आकारों से लेकर काफी बड़े पारदर्शी आकारों तक इन  चक्र को भी आध्यात्मिक उर्जा के गट्ठर माना जाता है | इन  सब फोटो विसंगतीयों को साँस से रौशनी का  उछलना , या कैमरा लेंस के सामने सिगरेट का धुआं , या बाल या किसी अन्य वस्तु की मोजूदगी का नतीजा माना जाता है | लेकिन फोटो में मिले चक्र के सभी उदाहरणों को इतनी आसानी से स्पष्ट नहीं किया जा सकता है |

सबसे अनोखे हैं फोटो में पूरे शरीर का दिखना | ये दुर्लभ तसवीरें हैं जिनमें जाने पहचाने लोग या जानवर नज़र आते हैं | दोस्त और परिवार जन आसानी से इस तस्वीर को पहचान सकते हैं |

पूरा शरीर बिना जानकारी के तस्वीरों में खास तौर से उसकी प्रष्टभूमि में नज़र आता हैं | कई आश्चर्यजनक उदाहरणों में वह काफी ठोस नज़र आते हैं और ऐसा लगता है जैसे तस्वीर लेने वाले से बात कर रहे हों | ऐसा लगता है जैसे वह तस्वीर के लिए पोज़ कर रहे हैं , जैसे वह इस बात को कबूल नहीं कर पा रहे हैं की उनकी मृत्यु हो गयी है या वह उन्हीं कामों को करना चाहते हैं जिन्हें वह मृत्यु से पहले करते थे | कई ऐसे उदाहरण मिले हैं जहाँ एक मृत सैनिक या वायुसैनिक की छवि अपने जिंदा साथियों की तस्वीरों में दिखाई दी है जैसे वह उन नजदीकी संबंधों को ख़तम नहीं करना चाहता जो युद्ध के वक़्त ऐसे सैनिकों में बन जाते हैं | कुछ ऐसे प्रतीत होते हैं जैसे वह कैमरा के बारे में नहीं जानते हैं और अभी भी पहले वाली दिनचर्या का यापन कर रहे हैं |इससे इंसान ऐसा सोचने पर मजबूर हो जाता है की क्या भूत जानता था की उसकी तस्वीर ली जा रही है या वह जानकर अनजाना बन रहा है |वैसे तो कई बार ऐसा लगता है की कुछ भूतों को मालूम होता है की उनकी तस्वीर ली जा रही है पर ये कह पाना बहुत मुश्किल है की ये बात  सब भूतों के लिए मान्य है | करीबन एक दर्जन पूरे शरीर की तसवीरें मोजूद है और यह आलोकिक अनुभव का  सबसे पुख्ता सबूत है , पर जैसा मेने पहले कहा वह भूतों के होने का कोई प्रमाण नहीं है क्यूंकि सबसे बेहतरीन तस्वीरों में भी फेर बदल किया जा सकता है |ये इस बात की पुष्टि करता  है की उच्च तकनीक की मदद से जो भी नज़र में आया है सबूतों के आभाव में उसका वजूद हमेशा संदेहास्पद ही रहेगा | एक दिन सीडियों से उतरती एक आत्मा की सपष्ट तस्वीर पर लोग गंभीरता से ध्यान नहीं देंगे ; क्यूंकि विज्ञान की दृष्टि से कोई भी पुख्ता सबूत कितना भी विश्वसनीय क्यूँ न हो अगर वह रिकॉर्ड पर या टेप पर है तो उसे संदेह से देखा जाएगा |

 

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