माइक्रोसीफेली से पीड़ित बच्चों के सर का आकार बहुत छोटा होता है | डॉ कांस्टेंटीन स्त्रताकिस एक बाल चिकित्सा आनुवंशिकीविद् एवं बाल स्वास्थ्य और मानव विकास के राष्ट्रीय संस्थान में एक वैज्ञानिक निदेशक के मुताबिक करीब 15 प्रतिशत मामलों में छोटे सर से बच्चे पर कोई असर नहीं पड़ता है |
पर बाकी के मामलों में बच्चे का दिमाग गर्भ के दौरान ही पूर्ण रूप से विकसित नहीं हुआ होगा या ज़िन्दगी के शुरुआती सालों में ही उसकी बढ़त रुक गयी होगी | ऐसे बच्चों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा जैसे विकास में देरी, बौद्धिक कमी या सुनने में हानि|
इसका परिणाम हर बच्चे के लिए अलग हो सकता है | एक अंतर्रिहित कारण पता चलने से डॉक्टर माँ बाप को बच्चे की अवस्था के बारे में सचेत कर सकते हैं |
आनुवंशिक असामान्यताएं एक आम कारण है | माइक्रोसेफेली गर्भ में संक्रमण जैसे जर्मन मीज़ल्स(रूबेला), टोक्सोप्लास्मोसिस( अधपके मीट और बिल्ली के मल में मोजूद एक पैरासाइट के द्वारा फैलाई गयी एक बीमारी) और स्य्तोमेगालोवायरस से भी हो सकता है |
माइक्रोसेफेली तब भी हो सकता है अगर एक गर्भवती औरत शराब पिए , कुपोषित हो या उसे डायबिटीज हो | अगर ये दोष बच्चे के शुरुआती सालों में पता चले तो हो सकता है की वह प्रसव के समय सर पर लगी चोट का परिणाम हो |
एक छोटे सर का कोई इलाज नहीं है |
“इस समस्या का कोई हल नहीं है , बस इलाज से उसके असर को कम किया जा सकता है” कहती हैं डॉ हन्ना एम टुली, सीएटल में बच्चों के अस्पताल में एक न्यूरोलॉजिस्ट, जो दिमागी कमियों की विशेषज्ञ हैं |