कुछ औरतों को रक्त की जांच करनी चाहिए , और सभी औरतों को अल्ट्रासाउंड करवाना चाहिए |
जनवरी १९ को सी डी सी ने ऐसी हालात से जूझती हुई औरतों और उनके डॉक्टरों के लिए अंतरिम दिशा निर्देश जारी किए | ये निर्देश जटिल हैं – और बदले भी जा सकते हैं |
सामान्य तौर पर जिन गर्भवती महिलाओं ने ज़ीका प्रचलन वाले क्षेत्र की यात्रा की है उन्हें डॉक्टर के पास जांच के लिए जाना चाहिए | जिन्हें यात्रा के दौरान या लौटने के दो हफ्ते भीतर तक बुखार, व्यग्रता, जोड़ों का दर्द और लाल आँखों जैसे लक्षण महसूस होते हैं वह वायरस के लिए अपने रक्त की जांच कराएं |
ये सिफारिश विवादास्पद है , क्यूंकि बिना लक्षण वाली औरतों में भी संक्रमण पाया गया है – जिन औरतों में वायरस मोजूद है उनमें से ८० % बीमार महसूस नहीं करती हैं –और ऐसे कोई सबूत नहीं हैं की जब माँ बीमार हो तभी बच्चे को तकलीफ हो |पर जिस समय ये निर्देश जारी किये गए , तब सी डी सी और राज्य स्वास्थ्य विभाग के पास ऐसी प्रयोगशाला क्षमता नहीं थी की वह पिछले नौ महीनों में जिन गर्भवती औरतों ने लैटिन अमेरिका या कॅरीबीयन की यात्रा की हो उनकी और साथ में पुएर्टो रिको की हर गर्भवती औरत की जांच कर सकें |
जो औरतों रक्त जांच करा लेती हैं , उनके लिए भी ये खबर पूर्ण रूप से आश्वस्त करने वाली नहीं है | वायरस के टेस्ट संक्रमण के पहले एक दो हफ्ते में ही काम करते हैं | एंटीबाडीज के लिए टेस्ट बाद में भी कर सकते हैं लेकिन अगर औरत को डेंगू , पीत ज्वर है या उसने पीत ज्वर टीके का सेवन किया है तो उसके नतीजा धोके से सकरात्मक आ सकते है|
सी डी सी के जांच अल्गोरिथिम के मुताबिक , प्रचलन वाले क्षेत्रों की यात्रा से आई औरतों – चाहे उनमें लक्षण हो या नहीं , और उनकी रक्त जाँच नकरात्मक हो या सकरात्मक – को अंत में एक अल्ट्रासाउंड स्कैन करवा के ये पता करना चाहिए की कहीं भ्रूण माइक्रोसेफेली या खोपड़ी की हड्डी के जमने का शिकार तो नहीं हो रहा है |
बदकिस्मती से , एक अल्ट्रासाउंड में भी माइक्रोसफली दुसरे तिमाही के अंत तक पकड़ में नहीं आता है |
कुछ औरतों को ज़ीका वायरस की मोजूदगी का पता करने के लिए भ्रूण के आसपास के तरल पदार्थ की भी अम्नियोसेंटेसिस से जांच करवानी चाहिए | पर अम्नियोसेंटेसिस में पेट के रास्ते अम्निओटिक सैक में एक लम्बी सुई चुभोनी होती है ; ये भ्रूण के लिए खतरनाक साबित हो सकता है , और जब तक 15 हफ्ते का गर्भ न हो जाए तब तक ऐसा करने की सलाह नहीं दी जाती है |
ज़ीका संक्रमण के जवाब में कई कंपनियां टेस्ट का विकास कर रही हैं | सी डी सी भी प्रकोप के दौरान स्वास्थ्य विभाग राज्य के लिए प्रशिक्षण सामग्री और परीक्षण किट मुहैय्या कराता है , जिससे टेस्ट करने की क्षमता बढती है |