योआश शिलालेख नाम है एक विवादास्पद साक्ष्य का जो जेरूसलम के टेम्पल माउंट के पास के मुस्लिम कब्रिस्तान या निर्माण स्थल में मिला था |हिब्रू भाषा में गोदा हुआ ये शिलालेख ९ सदी का है और पहले टेम्पल के नवीकरण की जानकारी देता है ,जो की कहा जाता है की किंग सोलोमन ने बनवाया था | ऐसा माना जाता है की इस नवीकरण के आदेश जुडा के राजा अहज़ाह के बेटे योआश ने दिए थे | जहाँ कुछ विद्वान इस की सच्चाई का समर्थन करते हैं और ये मानते है की ये लिखावट असली है , इजराइल के संस्कृति मंत्री द्वारा योआश शिलालेख के विश्लेषण के लिए गठित वैज्ञानिक समिति के मुताबिक लिखावट और अक्षरों के इस्तेमाल में की गयी गलतियों से लगता है की ये आधुनिक युग की एक जालसाजी है | पत्थर पश्चिमी सायप्रस और उससे आगे पश्चिमी इलाकों के मूल का है | गुदे हुए अक्षरों पर बना पतिना पीछे लिखे अक्षरों से अलग था और आसानी से हाथ से साफ किया जा सकता था |१८  जून २००३ को  इसराइल पुरावशेष प्राधिकरण आयोग ने एक प्रेस कांफ्रेंस में इस शिलालेख को एक आधुनिक जालसाजी घोषित कर दिया |इसरायली राज्य ने उस शिलालेख को ज़ब्त कर लिया और संग्राहक ओदेड गोलन को उसकी और अन्य पुरावशेषों की जालसाजी और उनका व्यवसाय करने के लिए गिरफ्तार कर लिया | 
२०१२ में कोर्ट ने ये तो नहीं कहा की वह शिलालेख और अन्य साक्ष्य असली हैं या नहीं , पर क्यूंकि राज्य उन्हें नकली नहीं साबित कर पाया इसलिए गोलन को नकली पुरावशेषों का धंधा करने का दोषी नहीं माना जा सकता था | कोर्ट के फैसले के बाद भी राज्य ने शिलालेख गोलन को वापिस नहीं किया और सुप्रीम कोर्ट को फैसला देने के लिए कहा | १७ अक्टूबर २०१३ को ३ जज की एक समिति ने राज्य की दलील को ख़ारिज कर दिया और शिलालेख को गोलन को देने का आदेश दिया | 

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