ओत्ज़ी एक ३३०० बी सी ई के आस पास रहने वाले आदमी की अच्छी तरह से संरक्षित प्राकृतिक पुराशव का नाम है | उसकी खोज १९ सितम्बर १९९१ को २ जर्मन पर्यटकों (नुरेम्बुर्ग ,हेलमेट और एरिका साइमन से आये)ने ऑस्ट्रियन – इटालियन सीमा में स्थित ओत्ज्तल ऐल्प्स के फिनेल्स्पित्ज़ पर्वत की पूर्वी पहाड़ी पर दो पर्वतीय रास्तों के बीच से गुज़रते हुए किया था |
ओत्ज़ी के शरीर पर कई कार्बन टैटूज थे जिसमें शामिल हैं रीड की हड्डी के दोनों तरफ छोटी सीधी रेखाएं , सीधे घुटने के पास एक सलीब के आकार का निशान और पैरों पर अन्य कई किस्म के निशान | उसकी हड्डियों के रेडियोलॉजिकल जांच से इन जगहों पर “उम्र या तनाव प्रेरित अध: पतन” नज़र आया है और ख़ास तौर से घुटनों और पैरों के जोड़ों में और रीड की हड्डी में स्पोंद्य्लोसिस का असर देखा गया है |ऐसा अनुमान लगाया गया है की यह टैटू दर्द से राहत देने के इलाज के तहत इस्तेमाल किये गए होंगे | अगर ये सच है तो ये इस तकनीक के सबसे पुराने इस्तेमाल चाइना में 1000 बी सी ई से भी 2000 साल पूर्व की बात है |
मई २०१२ में वैज्ञानिकों ने अपनी इस खोज की घोषणा की की ओत्ज़ी की रक्त कोशिकाएं अभी भी सलामत है | ये पहचानी गयी कोशिकाओं में सबसे प्राचीन रक्त कोशिकाएं हैं |इतने पुराने शवों में रक्त कोशिकाएं या तो सिकुड़ चुकी होती हैं या फिर टुकड़ों में होती हैं , पर ओत्ज़ी की कोशिकाएं जीवित लाल रक्त कोशिकाओं जैसी हैं और ये हैरानी की बात हैं |
अगर ये सब हैरान करने वाला नहीं है तो ये सुनिए , ऐसे दावे हुए हैं की ओत्ज़ी श्रापित है | ये इलज़ाम इसिलए लगा है क्यूंकि ओत्ज़ी की खोज , विश्लेषण और उग्रही से जुड़े कई लोगों की रहस्यमयी हालातों में मृत्यु हो गयी है | इनमें शामिल है १९९१ में पहली बार ऑस्ट्रिया के एक स्थानीय मुर्दाघर में इस पुराशव का विशेल्शण करने वाले कोनराड स्पिन्द्लेर और उसकी खोज करने वाले हेलमुट साइमन | अभी तक इस श्राप के चलते ७ लोगों की मौत हुई जिनमें से ४ दुर्घटना का शिकार हुए हैं | लेकिन ये एक साधारण बात भी हो सकती है क्यूंकि अभी तक ओत्ज़ी की जांच के साथ लाखों लोग जुड़ चुके हैं |१९९८ से उसे दक्षिण तय्रोल की राजधानी बोल्जानो के दक्षिण टायरॉल पुरातत्व संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है |