अधिकतर लोगों के लिए क्रिसमस सद्भावना , प्यार और ख़ुशी का समय होता है | लेकिन १९८५ में वाशिंगटन के एक छोटे शहर चहलिस में ऐसा नहीं हुआ | 6 दिन पहले एडवर्ड मौरीन और उनकी पत्नी मिन्नी गायब हो गयी थी | वह दोनों क्रमशः ८३ और ८१ साल के थे |
गवाहों ने जोड़े की गाड़ी को देखा था जिसमें चाबियाँ लगी थीं और खून के धब्बे भी वहां मोजूद थे | हफ्ता ख़तम होने से पहले उनके शव शहर के बाहर जंगल में मिले , दोनों को गोली मारी गयी थी |
डिटेक्टिव के पास कातिलों के लिए दो संदिग्ध थे – रिफ्फे भाई रिक और जॉन – लेकिन गिरफ्तार करने के लिए कोई वजह नहीं थी | गवाह उनके खिलाफ गवाही देने से कतरा रहे थे क्यूंकि वह दोनों नामी गुंडे थे | करीब ३० साल निकलने के बाद वाशिंगटन राज्य के वकीलों के पास इतने सबूत इकट्ठे हुए की उनको गिरफ्तार किया जा सके |
उनको गिरफ्तार करने के लिए अलास्का आने से एक हफ्ते पहले ही जॉन रिफ्फे की मौत हो गयी | रिक इतना किस्मत वाला नहीं थी | 6 हफ्ते चले इस केस के बाद रिक रिफ्फे को इन दो के इलावा ७ कत्लों का ज़िम्मेदार माना गया | उसको १०३ साल की सजा सुनायी गयी |
मौरीन परिवार के करीब ५० दोस्त और रिश्तेदार फैसला सुनने के लिए उस दिन अदालत पहुंचे | रिफ्फे की तरफ से उसके वकीलों के इलावा कोई मोजूद नहीं था |