सितम्बर १९६१ में 25 साल की लूसी जॉनसन , एक बच्चे की माँ , अपने ब्रिटिश कोलंबिया , सूरी के घर पर थी | उसे अगले दिन नहीं देखा गया , या उससे अगले या अगले ५२ सालों तक |
अलग अलग कारणों की वजह से ४ साल बाद तक भी लूसी को गुमशुदा नहीं माना गया | ज़ाहिर है इससे कुछ सवाल उठे और शक की सुई उसके पति मर्विन पर आकर रुकी | पुलिस ने उसके घर के पीछे के आंगन को
शव के मिलने की उम्मीद में खोद डाला पर कुछ नहीं मिला | दशक बीत गए मर्विन मर गया और केस के सुलझने की कोई उम्मीद न रही |
एक इंसान जिसने उम्मीद नहीं छोड़ी वो थी लूसी की बेटी लिंडा जो अपनी माँ के गायब होने के समय पर काफी छोटी थी | सुराग की उम्मीद में सूरी की पुलिस की मदद से लिंडा ने अख़बारों और अन्य मीडिया स्थानों में एड दिए | फिर २०१३ में उसके पास एक फ़ोन आया जो उसकी सौतेली बहन का था और जिसके वजूद के बारे में लिंडा को कोई जानकारी नहीं थी | उस औरत ने बताया की उसकी माँ लूसी जिंदा है और युकोन में एक नए परिवार के साथ रहती है |
ये दावा कितना अविश्वसनीय था ये जानने के लिए लिंडा ने इस सुराग को खंगाला | उसे पता चला की उसकी माँ के साथ कोई अनहोनी नहीं हुई थी | वह खुद एक अलग ज़िन्दगी की ओर चली गयी थी |लूसी के मुताबिक मर्विन उसके साथ ज्यादती करता था और जब वह अपनी बेटी के साथ वहां से जाने लगी तो उसने उन्हें रोक दिया | इसीलिए वह अकेले ही निकल गयी |