१९९२ वह साल था जब ऐ आर रहमान जैसे उत्कृष्ट कलाकार उभर के सामने आया | रोजा में उनके संगीत ने फिल्मों में संगीत के मायने बदल दिए |और फिर आई विवादास्पद बॉम्बे जिसमें मुंबई दंगों के बीच एक हिन्दू लड़का एक मुस्लमान लड़की से प्यार करने लग जाता है |इसमें भी ऐ आर रहमान के गाने कहना ही क्या ने कई महीनों तक लोगों का दिल बहलाया |अमिताभ उस वक़्त सक्रीय नहीं थे तो कई बेहतरीन अदाकार उभर के आये | १९९३ में संजय दत्त ने खलनायक की |रोजा हो या खलनायक बॉलीवुड को आखिर एक ऐसा विषय मिल गया था जो लोगों को लुभा सके और वो था अंडरवर्ल्ड और आतंकवाद |
आमिर खान , शाहरुख़ खान और सलमान खान तीन खान थे जो फिलम उद्योग पर राज करते थे और माधुरी को वो दर्जा मिला था जो अभी तक सिर्फ मधुबाला को मिला था | १९९५ में आई रंगीला जो बेहद लोकप्रिय हुई खास तौर से उर्मिला मातोंडकर के अभिनय की वजह से | रंगीला के संगीत ने फिर साबित किया की ऐ आर रहमान संगीत में अपने समकालीन दोस्तों से बहुत आगे हैं |
राम गोपाल वर्मा अभिनेता खोजी की तरह से प्रसिद्द हुए और उन्होनें सत्या के भीकू म्हात्रे किरदार के माध्यम से फिल्म जगत को मनोज बाजपेयी जैसा बेहतरीन कलाकार दिया | इसी समय पर शाहरुख़ खान अमिताभ बच्चन की जगह लेते प्रतीत हुए |कुछ कुछ होता है ,दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे ,करन अर्जुन के साथ उन्हें बच्चन का उत्तरधिकारी माना जाना लगा |अमिताभ ने लाल बादशाह जैसी फिल्म से वापसी करने की कोशिश की लेकिन असफल रहे | उनकी कंपनी बनने के कुछ ही समय पर कंगाली की हालत में पहुँच गयी |फिर २००१ में उन्हें एक टी वी सीरियल मिला जिसने उन्हें दुबारा उसी स्थान पर पहुंचा दिया | ७० साल से ज्यादा होने के बाद भी अमिताभ अभी भी फिल्म जगत के सबसे चहेते और लोकप्रिय शख्स हैं |
१९९९ को एक और वजह से और जाना जाता है और वह है फिल कहो न प्यार है के लिए | हृथिक रोशन में लड़कियों को अपना देसी टॉम क्रूज मिल गया | हर कोई उसके साथ काम करना चाहता था | ये फिल्म उनके पिता द्वारा निर्देशित थी और चाचा राजेश रोशन का संगीत था |अमिताभ का बेटा भी दुबारा प्रवेश करने की कोशिश कर रहा था | उसकी पहली फिल्म रिफ्यूजी अच्छी होने के बावजूद चली नहीं | अभिषेक को काफी लम्बे समय के इंतजार के बाद २००४ में युवा और धूम के माध्यम से अपनी पहली सफल मिलीं | युवा के लिए उन्हें पुरुस्कृत भी किया गया |
२००२ में आमिर खान की लगान और सनी डेओल की ग़दर आई | इन दो फिल्मों ने किसी और फिल्म की बात नहीं होने दी | लगान को अकादमी पुरुस्कार का नामांकन मिला पर उसे पुरुस्कार नहीं मिल सका | लगान में ऐ आर रहमान का संगीत अभी भी याद है और ग़दर इतिहास की सबसे सफल फिल्मों में से है | इस फिल्म से सनी डीओल और अमीषा पटेल ने दुबारा फिल्म जगत में प्रवेश किया | 15 साल के उम्र के फर्क होने के बावजूद उनकी जोड़ी को काफी पसंद किया गया |
इसके इलावा कई ऐसे कलाकार हैं या थे जैसे लता मंगेशकर , मदन मोहन , आर डी बर्मन और आशा भोंसले जिन्होनें हिंदी फिल्म जगत के इस सफ़र में महत्वपूर्ण योग दान किया |