मालिक अहमद निज़ाम उल मुल्क मालिक हसन बहरी के बेटे थे | अपने पिता की मौत के बाद उन्होनें रियासत का कार्यभार संभाला और निज़ाम शाही साम्राज्य की शुरुआत की | उन्होनें सीना नदी के तट पर अहमदनगर की खोज की और १४९९ में कई कोशिशों के बाद दौलताबाद के किले पर कब्ज़ा कर लिया |उनकी मौत के बाद १५१० में उनके बेटे बुरहान ( ७ साल के ) ने सत्ता संभाली लेकिन शुरुआत में कार्यभार मुकम्मल खान के हाथों में था | बुरहान की १५५३ में मौत के बाद उनके 6 बेटों में से हुसैन ने गद्दी संभाली | उनकी मौत के बाद उनके व्यसक बेटे मुर्तजा को सिंघासन मिला लेकिन कार्य भार उसकी माँ चाँद बीबी ने संभाला जिन्होनें कई साल तक राज किया |
मुर्तजा शाह ने १५७२ में बरार पर कब्ज़ा कर लिया | उनकी १५८८ में मौत के बाद सिंघासन के लिए उनके बेटे मिरां हुसैन और इस्माइल शाह में जद्दोजहद शुरू हो गयी | जुलाई १६०० में चाँद बीबी की मौत के बाद अहमदनगर पर मुग़लों ने कब्ज़ा कर लिया और बहादुर शाह को बंदी बना लिया | हांलाकि अहमदनगर शहर और उसके आस पास के इलाके मुग़लों के कब्ज़े में थे फिर भी कई ऐसे क्षेत्र थे जो अभी भी निज़ाम शाही साम्राज्य के कब्ज़े में थे | मालिक अम्बर और अन्य अहमदनगर ने मुग़लों का विरोध कर १६०० में नयी राजधानी परांदा में मुर्तजा शाह II को सुल्तान घोषित कर दिया | मालिक एम्बर की १६२६ में मौत हो गयी और इसके कुछ समय बाद शाह जहान ने डेक्कन के सूबेदार महबत खान को निज़ाम शाही ख़तम करने का हुकुम दिया |
महबत खान ने अहमदनगर पर हमला कर राजकुमार और अन्य लोगों की हत्या कर दी | लेकिन जल्द ही शाहजी ने बीजापुर की मदद से निज़ाम शाही साम्राज्य के आखरी चिराग मुर्तजा को सिंघासन पर बैठा दिया | लेकिन मुग़ल सल्तनत के बार बार हमलों के कारण मुर्तजा की माँ उन्हें ले कर वहां से भाग निकली | शाह जहान ने जल्द ही दोनों को गिरफ्तार कर लिया और बच्चे को मारने का फैसला किया | लेकिन शाहजी के कहने पर शाह जहान ने उसे छोड़ दिया इस शर्त पर की शाहजी दक्षिण में कार्यरत रहेंगे और मुग़ल सल्तनत को हानि नहीं पहुंचाएंगे | निज़ाम को शाह जहान दिल्ली ले गए जहाँ उन्हें सरदार के पद पर नियुक्त कर दिया गया |