शुरआती सूत्रों के मुताबिक उसे आंध्र या सतवाहन साम्राज्य का हिस्सा माना जाता है | 12 सदी में चालुक्य के गिरने के बाद देओगिरी के यादव ने बरार पर कब्ज़ा कर लिया | १३४८ में बहमनी सल्तनत की स्थापना के बाद बरार उनके राज्य की पांच प्रान्तों में से एक था जिस पर महान सरदार शासन करते थे | बहमनी सल्तनत के बंटवारे के समय फठुल्लाह इमाद उल मुल्क ने अपने को स्वतंत्र घोषित कर इमाद शाही साम्राज्य की स्थापना की | उन्होनें जल्द ही माहुर को अपने राज्य का हिस्सा बना लिया |
१५०४ में उनकी मौत के बाद उनके वंशज अला उद दिन ने गुजरात के सुल्तान के साथ मिल अहमदनगर के कब्ज़े को रोकने की कोशिश की | अगले शासक दरया ने भी इसी मकसद से बीजापुर से दोस्ती के सम्बन्ध बनाये पर फिर भी असफल रहे | १५६८ में अहमदनगर के मुर्तजा निज़ाम शाह ने हमला कर तब के शासक तुफल खान और उसके बेटे शम्स उल मुल्क और पिछले राजा बुरहान को मार बरार को अहमदनगर का हिस्सा बना लिया |