दीप्नोफोबिया –रात के खाने के दौरान बातचीत का डर

चलिए कुछ खाने के समय की बातचीत अटपटी होती हैं लेकिन कुछ लोग तो दुसरे इंसान से बात करने के ख्याल से ही इतना डरते हैं की वह बाहर जाकर खाना खाने के लिए तैयार नहीं होते हैं | पहले के समय में शिष्टाचार के कुछ ऐसे नियम थे जो इन्सान को इस स्थिति से बचने में मदद करते थे – पर अब ये नियम सब लोग भूलते जा रहे हैं | आजकल के समाज में जहाँ नियम और ओपचारिकता का पालन नहीं होता है ऐसा हो सकता है की पार्टी का नियंत्रित होना ही इस डर की वजह है | 

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