सहेलियाँ वर्षों बाद मिलीं...
औपचारिक कुशल क्षेम के बाद एक ने दूसरी से पूछा - 'कितने बच्चे हैं तुम्हारे....???
'दूसरी ने कहा - 'दो बेटियाँ हैं '
पहली ने कहा - 'हे भगवान, इस जमाने में दो बेटियाँ. मेरे तो दो बेटे हैं.... मुझे भी दो बार पता चला था गर्भ में बेटी है, मैंने तो छुटकारा पा लिया...अब देखो कितनी निश्चिन्त हूँ.'
दूसरी ने कहा - 'काश, तीस वर्ष पहले तेरी मम्मी ने भी तेरे जन्म से पहले
ऐसा किया होता तब आज तू दो हत्याओं की दोषी न होती. तेरी मम्मी को एक ही ह्त्या का पाप लगता.'
लेखं - निलेश रजनी भास्कर कळसकर.(जळगाव)
मोबाईल न - ०८१४९२००९१०
आपण साहित्यिक आहात ? कृपया आपले साहित्य authors@bookstruckapp ह्या पत्त्यावर पाठवा किंवा इथे signup करून स्वतः प्रकाशित करा. अतिशय सोपे आहे.