अपनी  शिकायतों को भी सवालों में बदल दें

आपके दिमाग  में क्या है ये सीधे बोलने से पहले-“तुम इतना काम करते हो की मेरे साथ वक़्त नहीं बिता पाते”-  अपने इरादे के बारे में सोचें | आपको क्या चाहिए ? आप क्या कहना चाहते हैं | इस मौके पर कहें की आप उनके साथ और वक़्त गुज़ारना चाहते हैं | फिर अपने को उनकी जगह पर रखकर देखें | एक शिकायत सुनने के बजाय क्या आप ये सुनना नहीं पसंद करेंगे “ मुझे तुम्हारी कमी महसूस होती है | हम कैसे और वक़्त साथ बिता सकते हैं ? तुम्हें इतनी देर काम करने के बारे में क्या लगता है ?” वह इस समस्या का तुरंत समाधान तो नहीं ढूंढ पायंगे लेकिन उस स्थिति के बारे में उनसे बात कर या अपने मन की बात बताने से बातचीत का आरम्भ होता है – जबकि एक तुनक में दिया जवाब सभी रास्तों को बंद कर देता है | 


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