कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान कौरवों और पांडवों का खाना एक ही स्थान पर एक ही खानसामा बनाता था और सब लोग साथ में भोजन  करते थे | युद्ध के पहले कुछ दिनों में युद्धिष्ठिर को ये देख हैरानी हुई की रोज़ सब के लिए पर्याप्त खाना होता है और कुछ बर्बाद भी नहीं होता है | क्यूंकि उस वक़्त युद्ध चल रहा था तो उसने सोचा की कैसे खानसामा को पता चलता है की दिन के अंत में कितने लोगों का खाना बनाना है |

उन्होनें खानसामा से पुछा की वह खाने की मात्रा का फैसला कैसे करते हैं | उसने जवाब दिया –“हर सुबह में कृष्ण से मिलने जाता हूँ और पूछता हूँ की कितने लोगों के लिए खाना बनाना है | वह मुझे संख्या और मात्रा बता देते हैं और में उसी हिसाब से खाना बनाता हूँ”| युधिष्ठिर उनके जवाब से हैरान रह गए और उन्हें एहसास हुआ की कृष्ण को सबका भविष्य मालूम रहता है |


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