टुरिन का श्राउड उन दुर्लभ वस्तुओं में से है जिसने न सिर्फ पूरी दुनिया के  इतिहासकारों में अपितु सभी धर्मशास्त्रियों में विवाद और झगड़ों को शुरू करवा दिया है |वजह साफ़ है – इस कपडे के टुकड़े में रहस्यमयी तौर पर एक ऐसे आदमी की छवि दिखाई पड़ती है जिसे सूली पर चढ़ाया गया हो |एक दम से अनुमान स्थापित किये गए की ये कपड़ा ( इसको इटली के टुरिन के संत जॉन द बैप्टिस्ट के कैथेड्रल में रखा गया है ) येशु मसीह के कफ़न का कपडा है | 

लेकिन हर विवादास्पद इतिहासिक खोज की तरह विशेषज्ञ इस साक्ष्य की आलोकिकता से संतुष्ट नहीं है | इसके इलावा भी क्षोध्कर्ता श्राउड का मूल समय पता करने में असफल रहे हैं – जिसमें सबसे आम है की ये कपडा १२६० से १३९० ऐ डी( १९८८ में किये गए रेडियोकार्बन डेटिंग जांच से पता चला ) के बीच के समय का है | पर इन निष्कर्षों को कुछ वैज्ञानिकों और इतिहासकारों ने चुनौती दी है | गौर तलब बात है की इन दो सोचों के विवाद के बीच , दो हाल के पोपस ने टुरिन के श्राउड को ईसाई धर्म का प्रतिनिधि मान लिया है |


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