जब रावण राम से युद्ध करने जा रहे थे तो उन्होंने अपनी आत्मा अग्नि नेत्र नाम के एक साधू को सुरक्षित रखने के लिए दी |लड़ाई के दौरान राम हैरान थे की उनके तीर रावण को ज़ख़्मी नहीं कर पा रहे हैं | लेकिन राम के एक हितैषी को ये राज़ पता चल जाता है और वह रावण का रूप धर साधू के पास जा अपनी आत्मा वापस मांग लेता है | एक बार उसकी आत्मा छूट जाती है रावण को मारना आसान हो जाता है |