रावण और उनके भाई को भगवान् विष्णु के द्वारपालक जया और विजय का रूप माना जाता है | जब ब्रह्मा के बेटों को विष्णु लोक में प्रवेश नहीं मिला तो उन्होनें जया और विजय को श्राप दे डाला | जय और विजय ने फिर विष्णु से मदद मांगी तो उन्होनें कहा की उनके पास दो  रास्ते हैं | या तो वह उनके भक्तों के रूप में ७ जन्म ले सकते हैं या शत्रुओं की तरह ३ जन्म | उन्होनें शत्रु बनना कबूल किया क्यूंकि वह ज्यादा दिन तक भगवान विष्णु से दूर नहीं रह सकते थे | 

उन्होनें निम्लिखित रूप लिए 

सतयुग में हिरन्यक्ष और हिरन्यकश्यप 

त्रेता युग में रावण और कुम्भकरण 

द्वापर युग में दन्तवक्र और शिशुपाल 



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