जब श्री राम को १४ साल का वनवास हुआ तो सारा राज्य शोक में डूब गया | पर श्री राम ने अपने वादे को पूरा करते हुए महल छोड़ दिया | जब भरत को इस बात का पता चला तो वह अपने भाई के पीछे पीछे गए | भरत को देख सारा राज्य भी उनके पीछे चित्रकूट अपने प्रभु को लेने पहुंचा |भगवान् राम ने अपनी प्रजा और अपने भाइयों को देख उनसे कहा की वह शोक न करें और वह उनके पास १४ साल बाद लौटेंगे | फिर उन्होनें बड़ी विनम्रता से कहा की प्रिय भाइयो और बहनों आप कृपया राज्य वापस जांए और मेरा इंतज़ार करें | ये सुन सारी प्रजा वापस चली गयी |
१४ साल बाद जब श्री राम अयोध्या लौट रहे थे तो उन्हें अपनी प्रजा के कुछ लोगों को चित्रकूट में उनका इंतजार करते पाया | राम ने उनसे पूछा की वह वापस क्यूँ नहीं गए जब उन्होनें सब को आदेश दिया था | इस पर वह लोग बोले | श्री राम आपने अपने भाइयों और बहनों से जाने को कहा था – आपने हमसे जाने को नहीं कहा था | ये पूरी प्रजा किन्नर थे , क्यूंकि वह भाई या बहन किसी भी श्रेणी में नहीं आते हैं इसलिए वह इतने सालों से श्री राम का इंतजार कर रहे थे | रोते हुए श्री राम ने उनसे माफ़ी मांगी और उन्हें आशीर्वाद दिया की जब भी कोई ख़ुशी का मौका होगा तो किन्नरों का स्वागत किया जाएगा |