दक्षिण कर्णाटक में ये प्रथा मद स्नान के दौरान कुक्के सुब्रहमन्य मंदिर में आयोजित की जाती है | दलित या निचले दबके के लोग ब्राह्मणों द्वारा छोड़े गए खाने के पत्तों पर लोटते हैं | हर साल करीब ३५०० श्रद्धालू इस विवादास्पद प्रथा में शामिल होते हैं | ऐसा मानना है की इस प्रथा के पालन से त्वचा की बीमारियाँ दूर होती हैं |
१९७९ में “मद स्नान” को प्रतिबंधित कर दिया गया था लेकिन श्रद्धालुओं के कहने पर फिर से शुरू कर दिया गया |