इस प्रथा का पालन तमिल नाडू में होता है जब एक व्यक्ति आग के ऊपर चलता है | हर साल ये प्रथा अक्टूबर या नवम्बर के महीने में आयोजित होती है | इस प्रथा का मूल सदियों पुराना है | महाभारत के मुताबिक जब द्रौपदी का चीर हरण हुआ था तो उन्होनें कसम खाई थी की वह अपने बाल तब काड़ेंगी जब वह उसमें दुशासन का खून लगा पाती  हैं | 

महाभारत के बाद उन्होनें आग पर चलकर आपनी पवित्रता को साबित किया था |इस प्रथा को द्रौपदी के इस कर्म को मान्यता देने के लिए आयोजित किया जाता है | इस प्रथा को श्री लंका , मलेशिया , मॉरिशस और दक्षिण अफ्रीका में भी आयोजित किया जाता है |


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