हर 12 साल बाद जो ब्रह्मा जगन्नाथ भगवान की मूर्ति के अन्दर स्थित हैं उन्हें नयी मूर्तियों में स्थानांतरित कर दिया जाता है | ये प्रथा हजारों साल से चल रही है लेकिन किसी ने भी इस प्रक्रिया को करने वाले ब्राह्मण को देखा नहीं है | ऐसा कहा जाता है की जब भगवान कृष्ण के शरीर का अंतिम संस्कार हुआ था तो अग्नि उनके दिल को नहीं जला पाई और जगन्नाथ मंदिर की मूर्ति के भीतर स्थित ब्रह्मा श्री कृष्ण का वो दिल ही है |