ऐसा कहा जाता है की भगवान वेंकाटेश्वरस्वामी की मूर्ति के बाल असली है और इनमें कभी भी गांठें नहीं पड़ती | भगवान की मूर्ति के आगे जल रहे तेल के दिए कभी बुझते नहीं है और किसी को नहीं पता की इन्हें पहली बार किस दिन जलाया गया था , पर लोगों का कहना है की इन्हें जलते हुए हजारों साल हो गए |
भगवान की मूर्ति में हथोडी के कोई निशान नहीं है | मूर्ति हमेशा ११० डिग्री फारेनहाइट के तापमान पर रहती है जबकि उसे सुबह सुबह दूध और पानी से नह्लाया जाता है | नहाने के बाद मूर्ती को हर रोज़ पसीना आता है जो पोंछना पड़ता है | भगवान् बालाजी की हफ्ते के ४ दिन देवी उमा की तरह , दो दिन विष्णु की तरह और एक दिन शिव की तरह पूजा जाता है |