ऐसा बताया जाता है की ओम प्रकाश एक बहादुर सैनिक था जिन्होनें अकेले ही मालोन केंद्र को कई बार दुश्मनों के हमले से बचाया है | पर हैरानी की बात है की किसी को नहीं मालूम की उन्हें क्या हुआ | अफसर सिआचेन ग्लेशियर के पद को सँभालने से पहले उनका आशीर्वाद लेते है और लौट कर फिर उनकी रक्षा करने के लिए धन्यवाद कहते हैं |

कई अफसर और सैनिक जो वहां पर तैनात हैं बताते हैं की उन्हें ओ पी बाबा सपनों में आगे आने वाले खतरों की चेतावनी देते हैं |ऐसा भी कहा जाता है की जब सिआचेन ग्लेशियर का भारत की तरफ का कोना कर्नल नरेन्द्र कुमार ने खोला तो उनकी कुल्हाड़ी कहीं गिर गयी और कभी नहीं मिली | बाद में ओ पी बाबा ने भारतीय सेना के एक जवान को बताया की जब तक कुल्हाड़ी नहीं मिल जाती भारतीय सेना को ग्लेशियर की पहरेदारी करनी पड़ेगी |


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