इनके ऊपर फिल्म  बनने के बावजूद इन्हें भगत सिंह और आजाद जैसे ख्याति नहीं मिली | उन्होनें ६४ अन्य क्रांतिकारियों के साथ पुलिस शस्त्रागार पर कब्ज़ा किया , टेलीफोन और टेलीग्राफ की लाइन नष्ट की और चिट्टागोंग से जाने वाली रेलवे लाइन्स की दिशा बदल दी | शहर पर कब्ज़ा कर उन्होनें तिरंगा फहराया और गाँधी राज का ऐलान किया | 

अंत में उन्हें घेर लिया गया और पुलिस ने उन पर धावा दोल दिया | ८० अँगरेज़ और 12 क्रांतिकारी इस मुठभेड़ में मारे गए | सेन को बाद में पकड़ सूली पर चड़ा दिया गया | इस हमले ने बंगाल में क्रांतिकारियों की एक नयी पीड़ी को जन्म दिया | 


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