वह नरमपंथियों में से एक थे | मेहता एक तीव्र आलोचक , तेज़ दिमाग वाले राजनीतिज्ञ थे |१८५७ के विद्रोह के बाद भारतीय सदस्यों को सदन में बैठने का मौका मिल गया था | वह बहुत कम थे और कानून बनाने में उनका कोई योगदान नहीं था | मेहता ने अंग्रेजी नीतियों पर कई बार वार किया और उन्हें अँगरेज़ एक खतरा मानते थे क्यूंकि वह नहीं चाहते थे की कोई उनकी आलोचना करे |